
स्वतंत्र भारत का संविधान बनाते समय बाबा भीम राव अंबेडकर ने निम्न पिछड़े वर्गों के प्रति फैली असमानता को दूर करने के लिये, उन्हें आरक्षण का दर्जा लिखित तौर पर दिया।
आरक्षण के बदौलत ही निम्न पिछड़े वर्गों के होनहार बच्चों को अच्छे स्कूल, काॅलेज और यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने का अवसर प्राप्त हुआ। लेकिन धीरे-धीरे समय के साथ आरक्षण में भी भ्रष्टाचार पनपने लगा जिसके कारण इसका फ़ायदा उन लोगों को मिल रहा है जो आरक्षण के योग्य नहीं है।
किसी ने एक दम सही कहा है कि आरक्षण ज़रूरतमंदों के पास तक तो पहुँच ही नही पाता ! बस कुछ मलाई खाने वाले लोग इसका लाभ उठाते है।
केवल 10 वर्षों के लिए आरक्षण लागू किया था-

खुद भीम राव अंबेडकर ने आरक्षण कुछ वर्षो के लिए लागू किया था ताकि कुछ पिछड़े वर्ग के लोगों की स्थिति में सुधार हो सके। उस समय हमारे देश में जात-पात की बुराइयाँ इतनी अधिक थी की वाकई में दलितों को आगे लाने के लिए आरक्षण देना आवश्यक था। उन्होने केवल 10 वर्षों के लिए आरक्षण लागू किया था। शायद उन्हे भी मालूम था कि आने वाले वक्त में आरक्षण एक बड़ी समस्या बन सकती है।
जिस तरह से शराबी को शराब कि लत लग जाती है इसी तरह आरक्षण लेने वालों को भी को इसकी लत लग चुकी है।
मुफ़्त की चीज़ें आख़िर किसको नहीं पसंद? ऐसा ही हाल आरक्षण भोगियों का भी है।
क्या पिछड़े वर्ग की जाती होने के कारण जॉब नहीं मिलती है? किसी अच्छे संस्थान में पढ़ने का मौका नहीं मिलता है? अगर ऐसा होता तो शायद डॉ. भीम राव अंबेडकर भी देश के उच्च पद पर कभी विराजमान नहीं हो पाते।
आरक्षण की आग में जलता भारत-

आरक्षण के पक्ष मे जो लोग हैं अगर वो सच में इस व्यवस्था का फ़ायदा वंचित वर्ग तक पहुँचाना चाहते हैं उन्हे खुद इस व्यवस्था का विरोध करना चाहिए। पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलता आरक्षण को बिल्कुल समाप्त किया जाना चाहिए। कहने का मतलब जब आरक्षण के सहारे शिक्षा, सुविधा, धन से कोई परिवार संपन्न हो जाए तो अगली पीढ़ी को आरक्षण का लाभ न दिया जाए (जब तक वो एक दम बुरे या पिछड़ी अवस्था में ना हो।)
आरक्षण के दुरुपयोग से क्या भारत एक प्रगतिशील देश बन पाएगा? आज के समय में आरक्षण को जिस हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है वह चिंताजनक है। एक के अधिकार को छीनकर दूसरे को देने की वयवस्था कहाँ तक जायज़ है?
आज देश इस कगार पर आ पहुंचा है कि हर समुदाय को आरक्षण की ज़रूरत महसूस होने लगी और इसके लिए समय-समय पर कई आंदोलन भी हुए है। उदाहरण के तौर पर जाट आंदोलन, गुर्जर आंदोलन और पटेल आंदोलन को ही लें। आरक्षण एक ऐसी समस्या बन गई है जो आगे चलकर बहुत गंभीर रूप लेगी।