भारत में चारों तरफ ब्लू व्हेल का आतंक फ़ैला हुआ है। ये एक ऑनलाइन गेम है जिसकी शुरुआत रूस(रशिया) से हुई है। मोबाइल फ़ोन और लैपटॉप के जरिए खेले जाने वाले इस खेल में 50 दिन अलग-अलग टास्क मिलते हैं। रोज़ टास्क पूरा होने के बाद अपने हाथ पर निशान बनाना पड़ता है जो 50 दिन में पूरा होकर व्हेल का आकार बन जाता है और टास्क पूरा करने वाले को खुदकुशी करनी पड़ती है।
पॉज़िटिव गेम बनने चाहिए-
ऑनलाइन की दुनियाँ में तरह तरह के नकारात्मक प्रभाव डालने वाले गेम्स देखे गये है जैसे टॉर्चर गेम्स, सुसाइड गेम्स, 18+ गेम्स। आम तौर पर ऐसे गेम्स काफ़ी तादाद मे देखने को मिलते है। आज मोबाइल, लैपटॉप और अन्य यंत्रों के वजह से तकनीक(टेक्नॉलॉजी) का हर कोई उपयोग कर पा रहा है। बच्चा हो या व्यस्क हर कोई 24 घंटे फ़ोन पर ही चिपका हुआ दिखता है। ऐसे में लोग बाहरी दुनिया में कम ओर सोशल साइट्स व गेम्स की दुनिया मे ज़्यादा लिप्त रहते है। इसका फ़ायदा कुछ बुरे लोग उठा रहे है जो ऑनलाइन गेम्स बनाकर और फ़िर ब्रेन-वॉश कर आत्महत्या करने पर मजबूर करते हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण ब्लू व्हेल गेम है, जिसकी वजह से काफ़ी लोगों को ख़ासकर बचों को जान से हाथ धोना पड़ा।
ऐसे मे ज़रूरत है कि उन ऑनलाइन खेलों की शुरुआत की जाए जिससे खेलने वेल के दिमाग़ मे पॉज़िटिव असर हो। एक ऐसे गेम को डेवलप करने की ज़रूरत है जो रोज़ नये नये अच्छे टास्क पूरे करने को दे। इसमे भी ब्लू व्हेल की तरह हर दिन एक नया टास्क मिलना चाहिए, लेकिन ब्लू व्हेल के उलट इसमे उन कामों को करने के आदेश मिलने चाहिए जिसमे खेलने वाला बाहर जाए , दोस्तों से मिले, घूमने जाए, आदि।
कुछ इस तरह के टास्क होने चाहिए जैसे-
- पिक्निक पर जाने का टास्क
- फैमिली संग मूवी देखने जाना
- एक दिन मोबाइल आदि या कोई भी डिवाइस का इस्तेमाल ना करना
- कुछ देर के लिए भगवान के आगे खड़े होकर प्रार्थना करना
- मोटिवेट करने वाली कोई वीडियो देखना
- किसी दिन बाहर जाकर 5 नए दोस्त बनाना
- एक दिन घरवालों के लिए खुद ख़ाना बनाना.
- अगले दिन 10 लोगों को हँसाने का टास्क
- योगा और कसरत करने का टास्क
- अपने दोस्तों या घरवालों से कोई भी पुरानी ग़लती पर माफी माँगने का टास्क
जब कुछ बुरे लोग ब्लू व्हेल जैसा गेम बनाकर कमज़ोर लोगों को आत्महत्या करने पर मजबूर कर सकते हैं, तो कुछ अच्छे लोग मिलकर क्यूँ न एक ऐसा पॉज़िटिव गेम तैयार करने का संकल्प लें जिससे लोगों में उत्साह, जोश, खुशी, बढ़े?
ये सब सोचकर ही इतना अच्छा लगता है तो जब असली ज़िंदगी में लोग ऐसे पॉज़िटिव गेम्स खेलना शुरू करेंगे तो ज़रा सोचिए लोगों की ज़िंदगी मे कितना बदलाव आ सकता है? तकनीक को अगर अच्छे कामों मे लगाया जाए तो ये इंसान की ज़िंदगी सफल बनाती है, वहीं अगर इसका उपयोग बुरे कामों मे करें, तो यही तकनीक इंसान को डिप्रेस्ड, बीमार, कमज़ोर भी बना देती है। इसलिए ज़रूरत है की इसका उपयोग हम इंसान के अच्छे के लिए ही करें।
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