कंगना रनौत आजकल अपनी पर्सनल और प्रोफ़ेशनल ज़िंदगी की वजह से सुर्ख़ियो में रहती है। अपने बेबाक़ बयानों को लेकर लगातार सुर्ख़ियो में रहने वाली कंगना को अगर कॉंटरोवरसी क्वीन कहे तो यह गलत नहीं होगा। नेपोटिज़्म पर दिए अपने बयान से एक नयी चर्चा शुरू कर दी है।
क्या हैं नेपोटिज़्म ?
अगर आप भी नेपोटिज़्म को लेकर भ्रम में है तो आपको बता दे की नेपोटिज़्म यानि “परिवारवाद”। हमारे देश में यह ही सोच रही है की बाप के बाद बेटा ही उनकी आगे की विरासत को संभालता है,नेता का बेटा नेता इससे ही नेपोटिज़्म कहते है। यह विवाद कंगना रनौत से शुरू हुआ था। करन जौहर के मशहूर शो ‘कॉफी विद करन”’ में कंगना रनौत ने उन्हें बॉलीवुड का माफ़िया बताया था। साथ ही कहा था कि करन नेपोटिज़्म या भाई-भतीजावाद को इंडस्ट्री में बढ़ावा देते हैं । अपने इस बयान के बाद नेपोटिज़्म पर एक नयी बहस छिड़ गयी और बॉलीवुड दो हिस्सों में बँट गया।
थम नहीं रहा विवाद –
नेपोटिज़्म अगर हम इस विषय की बात करे तो हमारा देश भले की काफ़ी आगे बढ़ गया पर यहाँ अब भी नेपोटिज़्म है जिससे अभी हमें बाहर निकलना होगा। साथ ही हमें यह भी देखना होगा की इस “भाई-भतीजावाद” के बाद भी फ़िल्म इंडस्ट्री ने हमें ऐसे सितारे दिए है जिनका कोई फ़िल्मी बैकग्राउंड नहीं था। यहाँ अगर करीना कपूर,आलिया भट्ट और अर्जुन कपूर हैं तो अक्षय कुमार,रणवीर सिंह, अनुष्का शर्मा और शाहरुख़ ख़ान भी हैं, जिनका इस इंडस्ट्री में होना ही यह बताता है की “नेपोटिज़्म” आपको इस फ़िल्मी जगत में एंट्री दिला सकता है पर यहाँ पर टिक सिर्फ वो ही सकता है जो अपनी मेहनत और टैलेंट के दम पर सबका दिल जीतता है। बॉलीवुड में आज भी मेहनत और टैलेंटेड लोगों को अपने सराखों पर रखा है।
अवॉर्ड फंक्शंस से दूरी बनाते सितारे-
बॉलीवुड में ऐसे अनेक सितारें है जो अवॉर्ड सिस्टम पर यकीन ना करते हुए इनसे दूरी बना कर रखते है। अवार्ड
फंक्शन के बारे में जो कंगना ने कहा था उसने फिर यही सवाल खड़ा कर दिया है की क्या अवार्ड ही हमारे काम का मानदंड है। आज आपको बताते है ऐसे ही सितारों के बारे में जो अवॉर्ड समारोह से दूरी बना कर रखते हैं।
आमिर ख़ान-
बॉलीवुड के फेमस एक्टर आमिर ख़ान कभी अवॉर्ड शो में नहीं जाते। उन्होंने ने 90के दशक में अवॉर्ड समारोहों में शामिल होना बंद कर दिया था। साल 1996 में फ़िल्मफेयर ने शाहरुख ख़ान को ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ के लिए बेस्ट एक्टर अवॉर्ड दिया था। इस साल आमिर खान को फ़िल्म ‘रंगीला’ के लिए नॉमिनेट किया गया था। कहा जाता है कि उस साल आमिर ख़ान को लगा था कि अवॉर्ड के लिए वह शाहरुख खान से ज्यादा काबिल थे।
अजय देवगन-
सिंघम अजय देवगन भी कभी अवॉर्ड फंक्शन अटटेंड नहीं करते। उनका कहना हैं की ये उस तरह के अवॉर्ड नहीं हैं जो हमारे यहां (बॉलीवुड) बांटे जाते हैं, जहां नाच गाना होता है और जो पहले आ जाए उसको अवार्ड थमा दिया जाता है।मैं अवॉर्ड्स में नहीं जाता हूं यह वो अवॉर्डस नहीं होते. वो आप भी जानते हैं। वो टीवी शो होते हैं इन अवॉर्ड्स शोज में जितने ज्यादा एक्टर्स आएंगे, उतना ज़्यादा ही चैनल उसे खरीदेगा और उतने ज़्यादा उससे पैसे बनेंगे। यह पैसे बनाने वाले अवॉर्ड्स हैं।

अक्षय कुमार-
खिलाड़ी अक्षय कुमार ने हमेशा विश्वास किया है कि अवॉर्ड नहीं रिवॉर्ड की चिंता करो। मतलब कि फ़िल्म फैन्स को पसंद आनी चाहिए…ट्रॉफी मिले ना मिले इससे क्या फर्क पड़ता है। अक्षय ने कहा कि जब मेरी सीट की लिस्ट मुझे दी जाती है तो मैं सबसे पहले देखता हूँ कि मुझसे आगे जो इंसान बैठा है क्या वो नॉमिनेटेड है? अगर हां,तो अवार्ड उसका है। अब तो इनमें गेस करने जैसा भी कुछ नहीं रहा।
कंगना रनौत-
कंगना रनौत तो पहले ही बोल चुकी हैं की वो इन अवॉर्ड्स फंक्शन्स से दुरी बना कर रखती हैं,यहाँ होने वाले अवॉर्ड्स में हेराफेरी होती हैं, अगर आपको अवॉर्ड मिलता भी हैं तो उसके बदले में आपसे कीमत मांगी जाती हैं।