इस बात में कोई शक नहीं है कि अच्छी नींद लेना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। अगर आप पर्याप्त नींद लेते हैं तो कई बीमारियों से दूर रहते हैं। वहीं अगर आप कम नींद लेते हैं तो सिरदर्द, चक्कर, मन न लगना, थकान, इन्सोम्निया, डाइबिटीज, मोटापा, सिर घूमने जैसी कई बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। अगर समय पर इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया तो आगे चलकर नींद न आने की समस्या मानसिक समस्याओं या शारीरिक रोगों में बदल जाती है। क्या आपको भी रोजाना रात को अच्छी नींद के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है? अगर हाँ, तो यह पोस्ट आपके लिए लाभदायक हो सकता है क्योंकि आज हम आपको नींद से जुड़ी समस्याओं और उससे निजात पाने के सरल तरीके बताएँगे।
जाने स्लीप डिसॉर्डर के कई लक्षण

अगर यह समस्या है तो इसके लक्षण कई तरह से आपको नज़र आते हैं, जैसे
- दिन में नींद के झटके आना।
- नींद का टूटना।
- बिस्तर पर जाने के बहुत देर बाद नींद आना।
- रात में अचानक उठना आदि।
नींद ना आने के कारण (स्लीप डिसॉर्डर)-

- देर तक मोबाइल से चिपके रहना।
- सोने से पहले चाय या कॉफी का सेवन करना।
- खाना खाने के ठीक बाद बिस्तर पर जाना।
- दिन में लंबे समय तक सोना।
- देर रात तक टीवी देखना।
- चिंता और डिप्रेशन में रहना।
- ज़्यादा शराब और सिगरेट या नशा का सेवन करना।
- शरीर के अंग जैसे पीठ, पैर या कमर में दर्द होना।
- सोने वाली जगह का अनुकूल वातावरण न होना।
अच्छी नींद के लिए उपाय-

- गर्म दूध भी अच्छी नींद लाने में सहायक होता है।
- रात में सोने से पहले तलवों पर सरसों के तेल से मालिश करनी चाहिए। इससे दिमाग शांत और स्थिर होता है और अच्छी नींद आती है।
- रात में सोने से पहले अपने हाथ, मुंह, पैर को अच्छी तरह से साफ पानी से धोकर, सोने से नींद अच्छी आती है।
- अपने मन पसंद का संगीत सुनें( लेकिन ज़्यादा देर तक ना सुने)।
- सोने से पहले टीवी और फोन को ना कहें क्योंकि इनसे नींद उड़ जाती है।
- सोने से पहले सारी टेंशंस और तनाव को दूर रखें। नींद ना आने की सबसे बड़ी समस्या तनाव लेना ही है।
योग और नींद का रिश्ता

कुछ योगासनों को अपनाकर भी आप अच्छी नींद पा सकते है। कुछ ऐसे प्राणायाम हैं जिनकी मदद से आप इस नींद ना आने की समस्या से छुटकारा पा सकते है।
कपलभाती– रोज 5 मिनट कपालभाति प्राणायाम करने से नींद अच्छी आती है
कैसे करें–
- सबसे पहले पद्मासन या सुखासन जैसे किसी शांत आसन में बैठ जाएँ ।
- कमर और गर्दन को सीधा कर लें जिससे छाती आगे की ओर उभरी रहेगी।
- हाथों को घुटनों पर ज्ञान मुद्रा में रखें, अब आँखें बंद करके आराम से बैठें और ध्यान को श्वास की गति पर ले आएँ।
- इस वक्त पेट ढीली अवस्था में होगा। अब कपालभाति करना शुरू करें।
- कपालभाति करने के लिए नाभि से नीचे के पेट को पीछे की ओर पिचकाएँ यानी अंदर की ओर करे या धक्का दें।
- इसमें पेट की मांसपेशियाँ आकुंचित होती हैं। फिर साँस को नाक से थोड़ा सा बल लगाकर बाहर की ओर फेंकें।
- इससे साँस के बाहर निकलने की आवाज़ भी पैदा होगी।
- अब अंदर की ओर दबे हुए पेट को ढीला छोड़ दें और साँस को बिना अंदर जाने दें।
- साँस भरने के लिए ज़्यादा ज़ोर न लगाएँ। फिर से पेट अंदर की ओर दबाते हुए तेजी से साँस बाहर निकालें। आगे की स्लाइड में पढ़े दूसरे प्राणायाम के बारे में।
अनुलोम-विलोम प्राणायाम

- सबसे पहले पद्मासन या सुखासन जैसे किसी शांत आसन में बैठ जाएँ ।
- अब अपने दाएँ हाथ के अंगूठे से नाक के दाएं छिद्र को बंद कर लें।
- इसके बाद नाक के बाएं छिद्र से सांस अंदर लें और फिर बाईं नाक को दो अंगुलियों से बंद करें।
- अब दाएँ नाक से अंगूठे को हटा दें और सांस बाहर छोड़ें।
- इसके बाद दाएँ नाक से ही सांस अंदर लें और दाईं नाक को बंद करके, बाईं नाक खोलकर सांस को 5 सेकेंड बाद बाहर छोड़ें।
- इस प्राणायाम को 10 मिनट से ज़्यादा ना करें और ज़्यादा फ़ायदे के लिए सुबह के वक्त ही करें।
उपर दी गई सारी जानकारी रिसर्च से ली गईं हैं। कृपया नुस्खों पर अमल करने से पहले डॉक्टर से अवश्य परामर्श लें।