मंगलवार को यानी 5 सितंबर 2017 को जारी वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग्स 2018 में भारतीय संस्थानों का प्रदर्शन फिर खराब रहा है। देश में शिक्षा संस्थानों की संख्या में तो वृद्धि हो गई है लेकिन शैक्षणिक स्तर घटिया होता जा रहा है। रैंकिग के मुताबिक, टॉप 1,000 यूनिवर्सिटीज में भारतीय विश्वविद्यालयों की संख्या 31 से घटकर 30 रह गई है। देश के प्रमुख विश्वविद्यालय, भारतीय विज्ञान संस्थान को 201-250 ग्रुप से हटाकर 251-300 बैंड में कर दिया गया है, क्योंकि इसकी शोध आय और उद्धरण प्रभाव में कमी आई है। टाइम्स हायर एजुकेशन द्वारा जारी वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग के मुताबिक, देश के प्रमुख विश्वविद्यालय भारतीय विज्ञान संस्थान को 201-250 ग्रुप से हटाकर 251-300 बैंड में कर दिया गया है।
ऑक्सफोर्ड पहले स्थान पर कायम

ऑक्सफोर्ड लगातर दूसरे साल भी पहले स्थान पर कायम है और कैंब्रिज दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। भारत में आईआईटी दिल्ली, कानपुर, खड़गपुर और रुड़की को 501-600 बैंड में रखा गया है। केवल आईआईटी बांबे की रैंकिंग में बदलाव नहीं किया गया है। इसकी रैंकिग 351-400 के बीच ही है। इस वजह की शोध आय और प्रभाव स्कोर में कमी आना है।
टीएचई ग्लोबल रैंकिंग्स के एडिटोरियल डायरेक्टर फिल बेटी ने कहा-
टाइम्स हायर एजुकेशन (टीएचई) ग्लोबल रैंकिंग्स के एडिटोरियल डायरेक्टर फिल बेटी ने कहा, ‘यह निराशाजनक है कि बढ़ती वैश्विक प्रतियोगिता के बीच टाइम्स हायर एजुकेशन वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग्स में भारत का परफॉर्मेंस सही नहीं रही है।’ भारत का परफॉर्मेंस चिंता का विषय इसलिए भी है कि चीन, हॉन्ग कॉन्ग और सिंगापुर की नामी यूनिवर्सिटीज की रैंकिंग लगातार बढ़ रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय संस्थान के पिछड़ने का कारण अंतरराष्ट्रीयकरण मोर्चे पर पीछे रहना है। उन्होंने कहा, ‘भारत में अध्ययन करने वाले विदेशी छात्रों की संख्याओं को सरकारी पॉलिसी में सख्ती से सीमित कर दिया गया है। इस पॉलिसी के कारण लॉन्ग टर्म फैकल्टी पोजिशन में विदेशी स्कॉलरों की नियुक्ति नहीं हो पाती है।’
दुनिया की टॉप यूनिवर्सिटी
ऑक्सफोर्ड, कैंब्रिज, कैलिफॉर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी (दोनों तीसने स्थान पर), मैसाचुएट्स, हार्वर्ड, प्रिंसटॉन, इंपीरियल कॉलेज लंदन, यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो।