हिन्दूओं में देव ऋण ऋषि ऋण और पितृ ऋण का काफी महत्व है, इसी पितृ ऋण कोउतारने के लिये श्राद्ध किया जाता है ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसारदेवताओं को प्रसन्र करने से पहले मनुष्यों को अपनें पितरों यानी पूर्वजोंको भी प्रसन्न करना चाहिए। बहुत से हिन्दू इन दिनों कोई भी शुभ काम नहींकरते हैं। पितरों की शांति के लिये हर साल भाद्रपद शुक्लपूर्णिमा
अश्विन कृष्ण अमावस्या तक के काल को पितृ पक्ष श्राद्ध मनाया जाता है और इस बार पितृ पक्ष 7 सिंतबर से शुरु हो गये हैं। पितृ पक्ष 15 दिन के लिये होते हैं लेकिन इस बार 14 दिन के ही पितृ पक्ष हैं।
7 सितंबर से 20 सितंबर तक इस वर्ष पितृ पक्ष रहेंगे
-7 सितंबर 2017 दिन गुरुवार को प्रतिपदा श्राद्ध
-08 सितंबर दिन शुक्रवार को द्वितीया श्राद्ध
-09 सितंबर दिन शनिवार को तृतीया श्राद्ध
-10 सितंबर दिन रविवार को चतुर्थी और पंचमी श्राद्ध
-11 सितंबर दिन सोमवार को षष्ठी श्राद्ध
-12 सितंबर दिन मंगलवार को सप्तमी श्राद्ध
-13 सितम्बर दिन बुधवार को महालक्ष्मी व्रत और अष्टका श्राद्ध
-14 सितंबर दिन गुरुवार को मातृ नवमी श्राद्ध
-15 सितंबर दिन शुक्रवार को दशमी श्राद्ध
-16 सितम्बर दिन शनिवार को एकादशी श्राद्ध
-17 सितम्बर दिन रविवार को द्वादशी श्राद्ध सन्यासियों और वैष्णवों को मनाना चाहिए
-18 सितम्बर दिन सोमवार को त्रयोदशी एवं मघा श्राद्ध
-20 सितम्बर दिन बुधवार को अमावस्या पितृविसर्जन
पितृपक्ष में श्राद्ध करने वाले लोग पितृदोष से मुक्त हो जाते हैं, श्राद्ध के इन दिनों को श्रद्धापूर्वक मनाना चाहिये और हमें कभी भी अपने पितरों का ऋण कभी नहीं भूलना चाहिये क्योंकि अपने पूर्वजों का आशीष हमेशा हमारे साथ रहता है। और पितृ पक्ष के समय सारे नियमों का ध्यान रखना चाहिये जो आवश्यक हैं।
भारत कुछ जगह ऐसी हैं जहां पर श्राद्ध मनाने के लिये लोग दूर-दूर से आते हैं वैसे बहुत से लोग अपने घरों में भी श्रद्धापूर्वक पूजा करते हैं लेकिन कुछ ऐसी जगह है जहां पर विशेष रुप से पितृ पक्ष के दिनों में पूजा की जाती है। वह जगह इस प्रकार हैं।
वाराणसी
प्रयाग
केदारनाथ
गया
बद्रीनाथ
नासिक
रामेश्वरम
यमुना नगर हरियाणा