
गूगल ने भारतीय महिला साइंटिस्ट आशिमा चटर्जी के 100वें जन्मदिन पर डूडल बनाकर उन्हें सम्मानित किया है।
जिस वक्त महिलाओं का बाहर निकलना ही मुश्किल होता था उस समय आशिमा चटर्जी ने केमिस्ट्री जैसे विषय में महारत हासिल की।
समाज की सारी बेड़ियों को तोड़ते हुए उन्होने अपनी पढ़ाई पूरी की और मिसाल बन गईं और महिलाओं के लिए। आज (23 सितंबर) आशिमा चटर्जी का 100वाँ जन्मदिन है और उनके सम्मान में गूगल ने उनका डूडल बनाया है।
इस गूगल डूडल में अशिमा चेटर्जी की एक तस्वीर बनाई गई है।

पढ़ाई का था जुनून:-
वैज्ञानिक आशिमा चटर्जी का जन्म 23 सितंबर 1917 को हुआ था। सर्च ईंजन गूगल ने आज इनका डूडल बनाकर इन्हें सम्मानित किया हैं।
सन् 1920-30 के दौर में जहाँ भारत की गिनी चुनी महिलाएँ पढ़ी लिखी थीं, तब आशिमा ने कलकत्ता यूनिवर्सिटी से केमिस्ट्री में स्नातक किया।
उन्हे पढ़ने का इतना जज़्बा था कि 1936 में ऑर्गेनिक रसायनशास्त्र विषय में स्नातक (ऑनर्स) करने के बाद आशिमा ने 1944 में डॉक्टरेट की उपाधि भी हासिल की। आशिमा डॉक्टरेट की उपाधि हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला थीं।
पद्म भूषण से किया गया सम्मानित:-
उन्होंने अपने करियर में एपीलेप्सि और मलेरिया जैसी बीमारियों से निपटने की दवाइयों पर शोध किया। उन्होंने विंका आल्कलाय्ड्स की खोज की जो कि पौधों से बनती है और इसका उपयोग केमोथैरेपी ट्रीटमेंट के लिए किया जाता है।
डॉ. आशिमा चटर्जी को भारत सरकार ने 1975 में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया और उसी साल 1975 में वो इंडियन साइंस काँग्रेस की जनरल अध्यक्ष बनने वाली पहली महिला भी बनीं।
2006 में हुआ निधन:-
महान वैज्ञानिक डॉक्टर आशिमा 2006 में 90 साल की उम्र में सबको अलविदा कह गयीं। उनकी एक बेटी है, जिनका नाम जुलिया है। आज इन्हे पूरी दुनिया सलाम कर रही है। आज अशिमा हर महिला के लिए प्रेरणा है और विज्ञान क्षेत्र में इनके अतुल्य योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। इन्होने साबित किया कि अगर जुनून हो तो ना समाज किसी को रोक सकता है और ना कोई दीवार।