जेएनयू में इस बार भी लाल सलाम की गूंज सुनाई दी। सेंट्रल पैनल की चारों सीटों पर लेफ्ट विंग के छात्र संगठन हावी रहे।कई दिनों तक चले चुनावी मुकाबले में एबीवीपी को पटखनी देकर वाम पंथ के छात्रों ने चारों सीटों पर जीत दर्ज कर ली है। लेफ्ट गठबंधन की तरफ से गीता कुमारी ने अध्यक्ष पद पर जीत दर्ज की. उन्होंने एबीवीपी उम्मीदवार निधि त्रिपाठी को शिकस्त दी। गीता को कुल कुल 1506 वोट मिले है जबकि विधार्थी परिषद की उम्मीदवार को 1042 वोट मिले है।
गीता कुमारी हरियाणा के पानीपत की रहने वाली है। उनके पिता भारतीय सेना में है। इलाहाबाद और गुवाहटी के आर्मी स्कूल से पढ़ने वाली गीता के परिवार में माता-पिता के अलावा एक भाई और एक बहन है।
1) 2011 में जेएनयू में गीता ने बीए कोर्स में एडमिशन लिया। इस दौरान वो दो बार स्कूल ऑफ लैंगुएज की काउंसलर रहीं।
2) गीता आइसा यानी ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) की सदस्य हैं। फिलहाल गीता स्कूल ऑफ सोशल साइंस से एम.फिल कर रही हैं। मॉर्डन हिस्ट्री में सेकेंय ईयर की स्टूडेंट हैं।
गीता का कहना है कि जेएनयू को रिसर्च के लिए जाना जाता है, लेकिन पिछले कुछ समय से जेएनयू की जो इमेज विश्व भर में बनी वो वाकई चिंता की बात है। गीता का मानना है कि अध्यक्ष बनने के बाद वो जेएनयू को उसकी पुरानी पहचान वापिस दिलायेंगी।
आपको बताते कि कन्हैया मामले के बाद से जेएनयू को देश विरोधी गतिविधियों का अड्डा माना जाने लगा था। इस विश्वविधालय में स्टूंडेट्स को देश से लगाव के लिए यहां सेना के टैंक और भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों की तस्वीरें भी लगाने के सुझाव मिलते रहे हैं।गीता का कहना है कि वो जेएनयू में सीटें बढ़ाने के लिए भी काम करेंगी।