हर पांच साल बाद सरकार बदलती है। सरकार कोई भी हो लेकिन हर सरकार के घोटाले सामने आ ही जाते हैं। जनता का पैसा सरकार यूं ही खा जाती है और जनता को पता भी नहीं चलता है। तो आइए आज जानते हैं ऐसे ही कुछ बड़े घोटालों के बारे में।
अगस्ता हेलिकॉप्टर घोटाला
अगस्ता हेलिकॉप्टर घोटाला साल 2013 में लोगों के सामने आया था। कांग्रेस सरकार के वक्त में अगस्ता वेस्टलैंड से वीवीआईपी के लिए 12 हेलिकॉप्टरों की खरीद का सौदा हुआ था। यह सौदा 36 अरब रुपए का था। 53 करोड़ डॉलर का ठेका पाने के लिए कंपनी ने भारतीय अधिकारियों को 100-125 करोड़ रुपये तक की रिश्वत दी थी। जिसके बाद यूपीए सरकार ने सौदा रद्द कर दिया।

आरोपी कौन-कौन थे इस घोटले में
इतालवी कोर्ट के फैसले में पूर्व आईएएफ चीफ एसपी त्यागी समेत 13 लोगों का नाम सामने आया था। जिस बैठक में हेलिकॉप्टर की कीमत तय की गई थी, उसमें कांग्रेस सरकार के कुछ मंत्री भी मौजूद थे। इस कारण कांग्रेस पर भी सवाल उठे थे। इस फैसले में कांग्रेस के कई नेताओं के नाम भी लिए हैं।
साथ ही यह भी बता दें इतालवी कोर्ट में रखे गए 15 मार्च 2008 के एक नोट में इशारा किया गया था कि सोनिया गांधी इस वीआईपी चॉपर ख़रीद के पीछे अहम भूमिका निभा रही थीं।
वाड्रा-डीएलएफ़ घोटाला
अक्टूबर 2012 में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और वरिष्ठ सुप्रीम कोर्ट वकील प्रशांत भूषण ने संवाददाता सम्मेलन में सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ़ को फ़ायदा पहुंचाने का आरोप लगाया था।

सोनिया गांधी और उनके दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर ये आरोप लगे थे कि डीएलएफ़ से 65 करोड़ का ब्याजमुक्त लोन लिया है और इसके पीछे कंपनी को राजनीतिक फ़ायदा पहुँचाना मक़सद था। साथ ही यह भी कहा गया कि इस दौरान केंद्र में कांग्रेस सरकार के रहते रॉबर्ट वाड्रा ने देश के कई हिस्सों में बेहद कम क़ीमतों पर ज़मीनें ख़रीदीं थी।
क्या था 2जी घोटाला
2जी घोटाला साल 2010 में जनता के सामने आया था। इसे इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला माना जाता है। इस घोटाले के बारे में तब पता चला, जब भारत के महालेखाकार और नियंत्रक ने अपनी एक रिपोर्ट में साल 2008 में किए गए स्पेक्ट्रम आवंटन पर सवाल खड़े किए थे।
2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में कंपनियों को नीलामी की बजाए पहले आओ और पहले पाओ की नीति पर लाइसेंस दिए गए थे। इस नीति के तहत भारत के महालेखाकार और नियंत्रक के मुताबिक सरकारी खजाने में एक लाख 76 हजार करोड़ रूपयों का नुकसान हुआ था। अगर नीलामी लाइसेंस के आधार पर होती तो सरकारी खजाने को कम से कम एक लाख 76 हजार करोड़ रूपयों और प्राप्त हो सकते थे।

इन लोगों पर लगे आरोप
इस 2जी घोटाले में पूर्व प्रधानमंत्री कार्यालय और तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम पर सवाल उठाए गए थे। साथ ही इस मामले में ए राजा के अलावा मुख्य जांच एजेंसी सीबीआई ने सीधे-सीधे कई बड़ी हस्तियों और कंपनियों पर आरोप लगाए थे। वहीं तमिलनाडू के पूर्व मुख्यमंत्री एम करूणाधि की बेटी कनिमोड़ी को भी इस मामले में जेल काटनी पड़ी थी और उन्हें बाद में जमानत मिली।
सत्यम घोटाला
सत्यम घोटाले को देश के सामने 7जनवरी 2009 को आया था। इस कंपनी के संस्थापक और तत्कालीन चेयरमैन बी. रामलिंगा राजू ने खुद यह बात मानी थी कि उन्होंने काफी लंबे वक्त तक कंपनी के खातों में हेरा-फेरी की थी और वर्षों तक मुनाफा बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया था। इस खुलासे के दो दिन बाद आंध्र प्रदेश की पुलिस ने अपराधी रामलिंगा राजू को उनके भाई रामा राजू और अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार कर लिया था।

सीआईडी ने 22 जनवरी, 2009 को अदालत को यह जानकारी दी कि सत्यम में कुल 40 हजार कर्मचारी ही काम करते थे। मगर कंपनी ने कर्मचारियों की संख्या को 53 हजार बताई हुई थी और आरोपी राजू इन तेरह हजार कर्मचारियों के वेतन के रूप में हर महीने 20 करोड़ रुपये विद ड्रॉ कर रहा थे। इस मामले कह करीबन 6 साल जांच चली थी जिसमें तीन हज़ार से ज्यादा डाक्यूमेंट्स और 226 चश्मदीद के बयानों को आधार बनाया गया।
आपको यह जानकारी दे दें कि सत्यम पर साल 2001 और 2003 में भी धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज की गई थी, मगर तब शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया गया था। घोटाले के सामने आने से पहले सत्यम भारत की आईटी कंपनियों में चौथे स्थान पर आती थी। मगर जिसे ही घोटाला सामने आया उसके बाद सत्यम भारत की सबसे कम वैल्यूबल आईटी कंपनी बन गई।