हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत विकास दर धीमी रहने के संकेत दे दिए है। इसके साथ ही इसकी वजह, भारतीय अर्थव्यवस्था के सकारात्मक और नकारात्मक कदम दोनों ही पहलुओं को माना जा रहा है। एक तरफ़ जहां भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सरकार द्वारा किये प्रयासों को प्रोत्साहित भी किया है तो वही दूसरी ओर भारतीय अर्थव्यवस्था की कमियों को भी गिनवाया है।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने वित्त वर्ष 2018 के लिये भारत की अनुमानित विकास दर कम कर दी है। बता दें कि आईएमएफ ने इसका कारण नोटबंदी और जीएसटी को माना है। हालाँकि, आईएमएफ ने यह भी कहा है कि इन आर्थिक सुधारों की वज़ह से ही भारतीय अर्थव्यवस्था फिर से रफ्तार पकड़ेगी और दुनिया की सबसे तेज़ गति से वृद्धि करने वाली अर्थव्यवस्था बन जाएगी।
Growth forecasts up for euro area, Japan, Emerging Asia, and Emerging Europe; down for UK, India #WEO https://t.co/kFoIlYrVxi pic.twitter.com/c7I96BAa78
— IMF (@IMFNews) October 10, 2017
आईएमएफ के अनुमानों से संबंधित महत्त्वपूर्ण बिंदु
- आईएमएफ के ‘वर्ल्ड इकॉनमिक आउटलुक’ के हवाले से कहा गया है कि वर्ष 2017 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7 प्रतिशत रहेगी| उल्लेखनीय है कि आईएमएफ का भारत के लिये यह अनुमान उसके पहले लगाए गए अनुमानों की तुलना में 0.5 प्रतिशत कम है|
- साथ ही वित्त वर्ष 2018 में भारत की अर्थव्यवस्था की रफ्तार का अनुमान 7 प्रतिशत रखा है, जो कि पहले 7.2 प्रतिशत था। इतना ही नहीं वित्त वर्ष 2019 में भी आईएमएफ ने भारत की वृद्धि दर का अनुमान 7.7 प्रतिशत से घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया है |
- वहीं यदि वैश्विक अर्थव्यवस्था की बात करें तो इसकी वृद्धि दर 2017 में 6 प्रतिशत और 2018 में 3.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। यह अनुमान आईएमएफ के पिछले अनुमान से 0.1 प्रतिशत अधिक है।
- बता दें है कि इस वर्ष जून तिमाही में भारत की वृद्धि दर 3 साल के निचले स्तर 7 प्रतिशत पर पहुँच गई थी, जिससे वित्त वर्ष के अनुमानों में भी गिरावट आई है। इससे पहले विश्व बैंक भी भारत की अनुमानित विकास दर को 7.2 प्रतिशत से कम कर 7 प्रतिशत कर चुका है।
- आईएमएफ ने यह भी कहा है कि आवश्यक आर्थिक सुधारों से अर्थव्यवस्था में तेज़ी आएगी। जीएसटी जैसे सुधारों से विकास दर में बाद में तेज़ी आएगी और यह 8 प्रतिशत को पार कर जाएगी।
- आईएमएफ ने अन्य लंबित सुधारों की ओर इंगित करते हुए कहा है कि निवेश के माकूल माहौल बनाने के लिये श्रम सुधार और भूमि सुधार कानूनों को भी लागू करना होगा।
आईएमएफ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत में वृद्धि की गति धीमी हो गई है वो नोटबंदी और जुलाई से जीएसटी को लेकर अनिश्चिततता के चलते हुआ। हालांकि, रिपोर्ट के अनुसार 2018 में भारत दुनिया में सबसे तेज वृद्धि करने वाली उदीयमान अर्थव्यवस्था का दर्जा फिर हासिल कर सकता है। इसके अतिरिक्त रिपोर्ट के मुताबिक, श्रम कानूनों के साथ-साथ जमीन अधिग्रहण से जुड़े कानून को सरल और आसान बनाना कारोबारी माहौल को सुधारने के लिए जरूरी है।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर
- आईएमएफ की इस रिपोर्ट का असर सीधे सीधे भारतीय बाज़ार पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। सेंसेक्स पर भी मंदी देखी जा सकती है।
- आईएमएफ की रिपोर्ट विदेशी निवेशको को नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगी जिसके चलते रोज़गारो में भी कमी देखने को मिल सकती है।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की यह रिपोर्ट सरकार के लिए भी एक प्रश्न खड़ा करती है कि क्या उनके द्वारा किये गये भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सुधार नाकाफ़ी है?
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund – IMF)
आईएमएफ एक अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्था है जो अपने सदस्य देशों की वैश्विक आर्थिक स्थिति पर नज़र रखने का कार्य करती है। यह अपने सदस्य देशों को आर्थिक एवं तकनीकी सहायता प्रदान करने के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय विनिमय दरों को स्थिर रखने तथा आर्थिक विकास को सुगम बनाने में भी सहायता प्रदान करती है। आईएमएफ का मुख्यालय वाशिंगटन डी.सी. संयुक्त राज्य अमेरिका में है। आईएमएफ की विशेष मुद्रा एसडीआर (Special Drawing Rights) कहलाती है।

बता दें कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार एवं वित्त के लिये कुछ देशों की मुद्रा का प्रयोग किया जाता है, इसे ही एसडीआर कहते हैं। एसडीआर के अंतर्गत यू.एस. डॉलर, पाउंड स्टर्लिंग, जापानी येन, यूरो तथा चीन की रेंमिन्बी शामिल है। आईएमएफ का उद्देश्य आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करना, आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देना, गरीबी को कम करना, रोज़गार के नए अवसरों का सृजन करने के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को सुविधाजनक बनाना है।