जगमीत सिंह (38) को एनडीपी का नेतृत्व करने के लिए मतदान के पहले दौर में शानदार जीत मिली। उन्होने 53.6 फ़ीसदी वोट हासिल किए। रविवार को पहले दौर के मतदान के नतीजों के ऐलान के बाद वह अपने विरोधियों को पछाड़कर पहले स्थान पर पहुँच गए।
सिंह को साल 2019 के चुनाव में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी के खिलाफ़ दल का नेतृत्व करने के लिए पहले मतदान के आधार पर पार्टी का नेतृत्व करने के लिए चुना गया है।
ट्वीट कर जताई खुशी:-
Thank you, New Democrats. The run for Prime Minister begins now 🇨🇦#LoveAndCourage pic.twitter.com/FDUem3pfGT
— Jagmeet Singh (@theJagmeetSingh) October 1, 2017
अपनी खुशी ज़ाहिर करते हुए उन्होंने ट्वीट किया- ‘धन्यवाद न्यू डेमोक्रेट्स। प्रधानमंत्री की दौड़ अब शुरू हो गई। इसलिए मैंने कनाडा का अगला प्रधानमंत्री बनने के लिए अपना अभियान आधिकारिक तौर पर आज से शुरू कर दिया है।’ पीएम जस्टिन ट्रूडो ने भी सिंह को नेता चुने जाने पर उन्हें बधाई दी और कहा कि वह उनके साथ बातचीत कर कनाडाई लोगों के लिए काम करना चाहते हैं।
राजनीति में सक्रिय होने से पहले वकील थे:-
उनका जन्म 1979 में ओंटारियो के स्कारबोरो में हुआ था। उनके माता-पिता पंजाब से आकर ओंटारियो में रहने लगे थे।
सिंह ने 2001 में यूनिवर्सिटी ऑफ़ वेस्टर्न ओंटारियो से जीवविज्ञान में स्नातक किया और 2005 में यॉर्क यूनिवर्सिटी के ओस्गुड हॉल लॉ स्कूल से कानून की डिग्री हासिल की।
राजनीति में आने से पहले वह ग्रेटर टोरंटो में वकील के तौर पर काम करते थे। कनाडा की जनसंख्या में सिखों की हिस्सेदारी लगभग 1.4 प्रतिशत है।
भारतीय मूल के लोग जिन्होनें पूरी दुनिया में अपने दिमाग का लोहा मनवाया है:-
भारतीय लोगों ने ना केवल भारत में बल्कि विदेशी ज़मीन पर भी देश का परचम लहराया है। आइए जानते है ऐसे कुछ भारतीय मूल के कामयाब लोगों के बारे में..
1सत्या नडेला:-
विश्व की प्रमुख सॉफ़्टवेयर कंपनी माइक्रोसॉफ़्ट के प्रमुख कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) हैं। सत्या विश्व की विख्यात सॉफ़्टवेयर कंपनी माइक्रोसॉफ़्ट के प्रमुख कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) नियुक्त हैं। मूल रूप से सत्या भारत के हैदराबाद के रहने वाले हैं और प्रारंभिक शिक्षा भारत से ही की है।
2सुंदर पिचाई:-
44 साल के भारतीय मूल के सुंदर पिचाई गूगल के चीफ़ एग्जिक्यूटिव ऑफ़िसर हैं यानी की सीईओ हैं।
उनका जन्म 12 जुलाई 1972 में तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में हुआ और उन्होने आईआईटी खड़गपुर में बीटेक की पढ़ाई की। फिर उन्होनें स्टैनफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी से एमएस किया और बाद में पेनसिलवेनिया यूनिवर्सिटी के वार्टन स्कूल से एमबीए किया।
आईआईटी से निकलने के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। कई कंपनियों में काम करते हुए उन्होंने कोई 13 साल पहले गूगल में नौकरी शुरू की थी। और आज वह इसके सीईओ हैं। पिचाई के सहपाठी और बाद में उनके साथ गूगल में आठ साल तक काम करने वाले सेजार सेनगुप्ता कहते हैं, ‘गूगल में ऐसा एक भी इंसान मिलना मुश्किल है जो सुंदर को पसंद नहीं करता हो या उनसे प्रभावित नहीं हो’।
3संजय झा:-
संजय जनवरी 2014 में ग्लोबल फाउंड्रीज़ कंपनी के सीईओ बने। ये दुनिया की पहली फुल सर्विस देने वाली सेमीकंडक्टर फाउंड्री है, जो वैश्विक स्तर पर टेक्नोलॉजी फुटप्रिंट्स बनाती है। इससे पहले वह मोटोरोला मोबिलिटी के सीईओ और क्वॉलकॉम के सीओओ रह चुके थे। उन्होंने मोटोरोला को को-सीईओ के तौर पर 2008 में जॉइन किया था। मोटोरोला से पहले वह 14 साल तक क्वॉलकॉम में जुड़े रहे।
इनका जन्म बिहार मे हुआ और इन्होने यूनिवर्सिटी ऑफ़ लिवरपूल से पढ़ाई की और यूनिवर्सिटी ऑफ स्ट्रैथक्लाइड से पीएचडी की है।
4अजयपाल सिंह बंगा:-
अजयपाल विश्व की प्रमुख क्रेडिट कार्ड कंपनी मास्टरकार्ड के वर्तमान अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। बंगा को 12 अप्रैल 2010 में मास्टर कार्ड के सीईओ की ज़िम्मेदारी मिली थी। महाराष्ट्र के पुणे में उनका जन्म हुआ और उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफ़न कॉलेज और आईआईएम(अहमदाबाद) से अपनी पढ़ाई पूरी की।
बंगा वर्ष 2009 में मास्टरकार्ड के साथ जुड़े थे और इससे पहले वह सिटी ग्रुप में भी अपनी सेवाएँ दे चुके हैं।
5शान्तनु नारायेन:-
शान्तनु दुनिया की जानी-मानी सॉफ्टवेयर कंपनी ‘अडोब’ के सीईओ हैं। शान्तनु 1998 में अडोब कंपनी में शामिल हुए। फिर 2007 में वह इसके सीईओ बन गए। शान्तनु की प्रतिभा और मेहनत ने अडोब कंपनी को प्रतिष्ठा दिलाई। इन्होंने कंपनी को कई नए आयाम दिए और इसे उँचाइयों तक पहुँचाया।