
सीबीआई ने शनिवार(9 सितंबर) को पूर्व पर्यावरण मंत्री रहीं जयंती नटराजन के खिलाफ वन भूमि से जुड़े एक मामले में उनके चेन्नै आवास पर छापेमारी की। यह मामला झारखंड के कुछ प्रोजेक्ट्स को एनवॉयर्नमेंट क्लियरेंस देने से जुड़ा हुआ है।
#CBI carries out searches on the premises of former environment minister #JayanthiNatarajan in Chennai.
— Press Trust of India (@PTI_News) September 9, 2017
क्या है पूरा मामला –
खबरों के अनुसार सन् 2012 मे जयंती ने अपने कार्यकाल के वक्त अपने पद का दुरुपयोग किया और नियमों को ताक पर रखा। खनन के लिए वन विभाग की भूमि के इस्तेमाल में बदलाव की खातिर मंजूरी दी। केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री ने मंजूरी खारिज कर दी थी लेकिन जयंती ने पद संभालने के बाद कथित रूप से उसे मंजूरी दे दी। सीबीआई ने प्राथमिकी में आरोप लगाया कि तत्कालीन केंद्रीय पर्यावरण और वन राज्य मंत्री जयंती नटराजन ने ईसीएल को गैर वन्य इस्तेमाल के लिए 55.79 हेक्टेयर वन भूमि की स्थिति बदलने के लिए मंजूरी दी। जबकि उनके पूर्ववर्ती राज्य मंत्री जयराम रमेश ने मंजूरी खारिज कर दी थी। एजेंसी ने कहा कि वन महानिदेशक के सुझाव और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन किए बिना मंजूरी दी गई। इस बाबत सीबीआई ने जाँच तो सन् 2014 में ही शुरू कर दी थी.
क्या आरोप लगे हैं-
जयंती पर आपराधिक षडयंत्र का मामला दर्ज किया गया और उनके खिलाफ़ अपने पद का गलत इस्तेमाल का आरोप लगा है। इन आरोप में पीसी एक्ट के सेक्शन 120बी के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
उमंग केजरीवाल भी जाँच के घेरे में-
सीबीआई ने इलेक्ट्रोस्टील कास्टिंग लिमिटेड और अन्य के खिलाफ भी पीसी ऐक्ट 120ब के तहत मामला दर्ज किया है।इलेक्ट्रोस्टील कास्टिंग लिमिटेड (ईसीएल) के तत्कालीन प्रबंध निदेशक उमंग केजरीवाल और कंपनी के अलावा अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
कौन हैं जयंती नटराजन-
जयंती तमिलनाडु से ताल्लुक रखतीं और उनकी उम्र 63 वर्ष है। उनके दादा एम. बक्थवत्सलम कॉंग्रेस के बड़े नेताओं में से एक थे और 1963 से 1967 के बीच तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे। पॉलिटिक्स में जयंती का प्रवेश राजीव गाँधी द्वारा हुआ। जयंती पहली बार 1986 में और फिर 1992 में राज्यसभा के लिए चुनीं गईं। बाद में उन्होंने कांग्रेस छोड़ने का फ़ैसला किया, लेकिन सोनिया गाँधीं उन्हें फिर कॉंग्रेस में लाईं और यूपीए 2 के शासन में वो पर्यावरण मंत्री बनीं।
वर्ष 2015 में जयंती ने दोबारा कॉंग्रेस से इस्तीफ़ा दिया ओर कहा है कि पर्यावरण से जुड़े कई प्रोजेक्ट्स को हरी झंडी न देने के लिए उन पर राहुल गांधी की ओर से दबाव था।