KISAN PROTEST : पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसानों के नाम पर आंदोलन करने वाले शरारती तत्वों को अपने राजनीतिक लाभ के लिए बढ़ावा दिया था । जिसके चलते अब खुद पंजाब को गंभीर प्रणाम भुगतने पड़ रहे हैं। विपक्ष ने किसानों को लेकर यह माहौल बनाया कि अंबानी और अडानी जैसी बड़ी कंपनियां किसानों का अनाज खरीदती हैं ,लेकिन यह बात असत्य है।अब तथाकथित किसानों ने पंजाब में मोबाइल के टावरों को ध्वस्त करना शुरू कर दिया है ।
जिसकी वजह से दूरसंचार की व्यवस्था पूरी तरह से लड़खड़ा गई है ।इतना ही नहीं पंजाब सरकार को भी करोड़ों रुपए का नुकसान सहना पड़ रहा है । मोदी के विरोध मे अंधे हो चुके कैप्टन अमरिंदर सिंह यह नही जान पाए कि कब उन्होंने खुद के ही पैर पर कुल्हाड़ी मार ली । शरारती तत्वों द्वारा अब सरकारी सम्पत्ति को हानि पहुंचाई जा रही है, इतना ही नहीं अगर माहौल ऐसा ही रहता है तो जल्दी बड़े उद्यमी पंजाब में अपना उद्योग फैक्ट्री या कंपनी लगाने से कतराएंगे ।जिसका सीधा सीधा नुकसान पंजाबियों को होने वाला है ।बड़े बड़े सिंगर जो आज अपनी पॉपुलैरिटी बढ़ाने के लिए किसान आंदोलन को सपोर्ट कर रहे थे आगे चलकर उन्हें भी गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं ।
क्योंकि एक बड़ी मात्रा में जनता ने उन्हें बॉयकॉट करने का मूड बना लिया है । किसान आंदोलन में विदेशों से आई हुई फंडिंग का खुलासा भी हुआ है तोड़े गए टावरों में ज्यादातर टावर रिलायंस के हैं। क्योंकि वह सीधे-सीधे अंबानी और अडानी को निशाना बनाना चाहते हैं । पंजाब में सरकारी प्रॉपर्टी का नुकसान होते देख कैप्टन अमरिंदर सिंह की आंखें खुल गई है। इतना ही नहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी किसानों को खुलकर समर्थन कर रहे हैं जबकि दिल्ली के लोगों को इस आंदोलन के चलते बहुत ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है ,लेकिन अपने लोगों की ना सोच कर मोदी को नीचे गिराने की खुन्नस में केजरीवाल ने हर हद पार कर दी है।
मुख्यमंत्री होने के नाते केजरीवाल को दिल्ली के लोगों के बारे में सोचना चाहिए ना की राजनीतिक फायदे के बारे में। एक महीना हो जाने के बावजूद अब तक सरकार और तथाकथित किसानों के बीच कोई हल नहीं निकल पाया है ।अब देखना होगा कि कब तक यह आंदोलन ऐसे ही चलता रहेगा।