मुहर्रम के बाद दुर्गा प्रतिमा विसर्जन कराने के ममता बनर्जी सरकार के आदेश को कलकत्ता हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है।
कलकत्ता हाई कोर्ट के चीफ़ जस्टिस की बेंच ने कहा, ‘कुछ भी गलत होने की आशंका के आधार पर धार्मिक मामलों पर बंदिश नहीं लगा सकते है।’ कोर्ट ने कहा कि “आपके पास अधिकार हैं, पर असीमित नहीं। ”
कोर्ट ने आज (21 सितंबर) कहा कि सरकार लोगों की आस्था में दखल नहीं दे सकती है। बिना किसी आधार के ताकत का इस्तेमाल बिल्कुल गलत है।
Durga Idol Immersion Case: Acting Chief Justice of Calcutta HC tells state govt, ‘there is a difference between regulation and prohibition.’
— ANI (@ANI) September 21, 2017
क्या कहा कोर्ट ने जाने इन प्वाइंट्स में:-
कोर्ट ने मूर्ति विसर्जन पर राज्य सरकार का फ़ैसला पलट दिया है। कोर्ट ने मुहर्रम के दिन मूर्ति विसर्जन से रोक को हटा दिया है।
कलकत्ता हाई कोर्ट के चीफ़ जस्टिस की बेंच ने कहा, ‘कुछ भी गलत होने की आशंका के आधार पर धार्मिक मामलों पर बंदिश नहीं लगा सकते हैं।’
हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार कैलेंडर को नहीं बदल सकती है, क्योंकि आप सत्ता में हैं इसलिए दो दिनों के लिए बलपूर्वक आस्था पर रोक नहीं लगा सकते हैं।
हाई कोर्ट ने कहा, धार्मिक मामलों में सरकारें किसी भी तरह के दखल देने से बचें।
सरकार के वकील ने कोर्ट में कहा कि क्या सरकार को कानून व्यवस्था का अधिकार नहीं है? वकील की ओर से कहा गया है कि अगर कानून व्यवस्था बिगड़ी तो किसकी जिम्मेदारी होगी? हाई कोर्ट की बेंच ने इस दलील को सिरे से खारिज कर दिया
हाई कोर्ट ने कहा “विजयादशमी के एक दिन बाद मुहर्रम होने से क़ानून और व्यवस्था बनाए रखने में दिक्कत होगी”, केवल इस आधार पर मूर्ति विसर्जन रोका नहीं जा सकता।
किसी भी सरकार की जिम्मेदारी है कि वह सामाजिक एकता को कायम रखने वाले फ़ैसले ले।
कोर्ट ने कहा मुहर्रम के दिन भी रात 12 बजे तक दुर्गा पूजा करने वाले लोग मूर्ति विसर्जन कर सकेंगे। साथ ही सरकार की ज़िम्मेदारी है कि वे उन्हें सुरक्षा मुहैया कराए।
क्या था पूरा मामला:-
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के 23 अगस्त को एक विवादित ट्वीट किया। ट्वीट में दशमी के दिन 6 बजे तक ही विसर्जन की इजाज़त दी गई थी, क्योंकि अगले दिन मुहर्रम है। इस कारण, विसर्जन पर रोक लगा दी गई थी और विसर्जन 2 तारीख़ से किए जाने के आदेश दिए गए थे।
This year Durga Puja & Muharram fall on the same day. Except for a 24 hour period on the day of Muharram… 1/2
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) August 23, 2017
जब मामले ने तूल पकड़ लिया और ममता पर तुष्टिकरण के आरोप लगे तब उन्होने दूसरा ट्वीट किया। उन्होने लिखा, “मुहर्रम के दिन 24 घंटे की अवधि को छोड़कर, विसर्जन 2 , 3 और 4 अक्टूबर को हो सकता है।”
… Immersions can take place on October 2, 3 and 4… 2/2
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) August 23, 2017
ममता के इस फ़ैसले के खिलाफ़ याचिका दर्ज की गई थी:-
यूथ बार एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया ने इसके खिलाफ़ याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया कि मुख्यमंत्री के ट्विटर अकाउंट के लाखों में फॉलोवर्स हैं और ये समुदाय विशेष के तुष्टिकरण के लिए बड़े समुदाय के धार्मिक रस्म रिवाज के साथ ठीक नहीं किया जा रहा है। इससे भावनाएँ आहत होने की आशंका है और यह संविधान की धारा 14, 25 और 26 का उल्लंघन भी है।
बीजेपी ने ममता का किया था कड़ा विरोध:-
संबित पात्रा ने एक चैनल से बातचीत में कहा, ‘ममता बनर्जी को बस मुस्लिम वोट बैंक की चिंता है, और उन्हें पश्चिम बंगाल की संस्कृति से कोई मतलब नहीं है।’ ममता सरकार को पहले भी हाई कोर्ट से ऐसे मामलों में कड़ी फटकार का सामना करना पड़ा है, पर ये आदतों से बाज़ नहीं आ रही हैं।
बीजेपी की बंगाल यूनिट(इकाई) के प्रमुख दिलीप घोष ने फ़ेसबुक पर लिखा था कि क्या बंगाल धीरे-धीरे तालिबानी शासन की तरफ बढ़ रहा है? स्कूलों में सरस्वती पूजा रोकी जा रही है, बार-बार दुर्गा पूजा के बाद प्रतिमा विसर्जन रोक दिया जाता है।
क्या तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है ममता?
हाई कोर्ट के फ़ैसले पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तीखी टिप्पणी की है। विरोधियों द्वारा तुष्टिकरण करने का आरोप झेल रही ममता ने कहा कि अगर ये तुष्टिकरण है तो मैं जब तक जीवित हूँ, ऐसा करती रहूँगी। अगर कोई मेरे माथे पर गन भी रख दे तब भी मैं यही करूँगी। मैं किसी से भेदभाव नहीं करती। ये बंगाल की संस्कृति है, ये मेरी संस्कृति है।
गौरतलब है कि भाजपा और दक्षिणपंथी संगठन ममता बनर्जी पर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगाते रहे हैं। विवाद तब बढ़ गया जब ममता सरकार ने दुर्गा प्रतिमा विसर्जन प्रतिबंध लगाया। इस फ़ैसले के विरोध में हाई कोर्ट में याचिका लगाई गई। जिसके बाद अदालत ने ममता सरकार के निर्णय को पलट दिया।
इससे पहले भी ले चुकी हैं ऐसे फ़ैसले:-
पिछले साल भी इसी तरह राज्य सरकार ने मूर्ति विसर्जन पर प्रतिबंध जारी किया था जब 11 अक्टूबर को दशहरा था और 13 अक्टूबर को मोहर्रम।
ममता के इस फैसले के खिलाफ़ भी कोलकाता हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी जिस पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी। लेकिन शायद ममता ने उस फटकार को गंभीरता से नहीं लिया।