आपको बता दे कि हाल ही मे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की 10वी सामान्य समीक्षा रिपोर्ट जारी की है। स्वास्थ्य मंत्री द्वारा लेप्रोसी,मलेरिया,कालाजार जैसे रोगो को आवश्यकता और मजबूत स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया.आज भी देश में हर साल हज़ारो लोग स्वास्थ्य देखभाल के अभाव में अपना दम तोड़ रहे है ।
रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों को सही समय से लागू करने की जरूरत है । आपको बता दे कि भारत अपनी कुल जीडीपी का केवल 1.2% हिस्सा ही स्वास्थ्य देखभाल के लिए रखता है । जबकि यह आकड़ा विदेशो में 5% तक है । UNO की रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग कुल आबादी का 1.3% हिस्सा, इलाज की सुविधाओ पर अपनी आमदनी का 50% खर्च करता है . इसी कारण वह गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहा है. एक अन्य WHO की रिपोर्ट में भी कहा गया है की, भारत में प्रति 10,000 लोगो पर केवल 12 ही डॉक्टर उपलब्ध है तथा बिस्तरो की संख्या तो प्रति 1000 लोगो पर 345 ही है ।
ऐसे में यह बहुत जरूरी हो जाता है कि, सरकार अपनी स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों को सही ढंग से लागू करे और कानूनो में सकारात्मक परिवर्तन लाये । ताकि गरीब व्यक्ति को कम से कम विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में “जीने का अधिकार” मिल सके।
क्या है राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन(National Rural Health Mission) (एनआरएचएम) एक ग्रामीण भारत भर के ग्रामीण स्वास्थ्य सुधार के लिए स्वास्थ्य कार्यक्रम है। यह योजना अप्रैल 2005 को शुरू की गयी। आरंभ में यह मिशन केवल सात साल के लिए रखा गया है, यह कार्यक्रम स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा चलाया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुरक्षा में केंद्र सरकार की यह एक प्रमुख योजना है। इसका प्रमुख उद्देश्य पूर्णतया कार्य कर रही, सामुदायिक स्वामित्व की विकेंद्रित स्वास्थ्य प्रदान करने वाली प्रणाली विकसित करना है।