यदि मन में सफलता पाने के लिए लगन और चाहत हो तो कोई भी काम नामुकिन नहीं है, बस मन में हौसला होना चाहिए फिर चाहे कैसी भी परिस्थिति हो इस बात को साबित किया है हरियाणा जिले के रोहतक में रहने वाली नीतू सरकार ने।
नीतू आज अपने गांव की शान बन चुकी हैं। नीतू इस समय अंतरराष्ट्रीय स्तर की पहलवान है लेकिन उनकी इस सफलता के पीछे कठोर मेहनत भी है। नीतू की शादी 13 साल की उम्र में करा दी गई थी और नीतू का पति उनसे उम्र में 30 साल बड़ा और मानसिक रुप से कमजोर था, इस बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि नीतू पर क्या बीती होगी, उनकी चुनौतियां यहां नहीं खत्म होती हैं। नीतू के साथ उसके ससुर ने रेप करने की कोशिश की थी और नीतू ससुराल से भाग निकली। इसके बाद नीतू की शादी किसी और आदमी से कर दी गई। हलाकि इस शख्स का व्यवहार नीतू के प्रति अच्छा था, लेकिन नीतू बहुत कम उम्र में जुड़वा बच्चों की मां बन गयी थी।
नीतू का पति एक बेरोजगार था और बच्चों के बड़े होने पर उनके पास इतने भी पैसे नहीं थे वे बच्चों की प्राथमिक जरूरतों को पूरा कर सकें। एक दिन टीवी पर कुश्ती देखते हुए उनके मन में खयाल आया कि क्यों न वह इसे सीखें लेकिन उनके घरवालों ने उनके इस कदम का विरोध किया फिर भी उन्होनें हिम्मत नहीं हारी और अपनी फिटनेस पर ध्यान देने के लिए नीतू रोज सुबह 3 बजे उठ कर गांव में दौड़ लगाने जाती थी।
नीतू ने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया इसमें उनका साथ दिया उनके कोच ने जो कि नीतू की लगन और मेहनत से बहुत प्रभावित हुए। साल 2011 में नीतू ने एक राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में कांस्य पदक भी जीत लिया। इसके बाद अपनी मेहनत के दम पर उन्होंने 48 किलोग्राम कैटेगरी में राष्ट्रीय स्तर पर सिल्वर पदक जीता है। इसके अलावा वह ब्राजील में संपन्न जूनियर चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व भी कर चुकी हैं। लेकिन नीतू की यह इच्छा है कि उन्हें भारतीय रेल में एक नौकरी मिल जाए ताकि वह अपने गरीब परिवार को बेहतर जिन्दगी दे सके।
नीतू के हीरो कुश्ती चैंपियन सुशील कुमार है और उनकी ट्रेनिंग का खर्च भी Sushil4Sports Foundation के जिम्मे है। नीतू उन सब महिलाओं के लिये एक मिसाल है जो अपनी जिंदगी में इस तरह का संघर्ष कर रही हैं। बस जरुरत है लगन और मेहनत की क्योंकि इसके भरोसे कोई भी काम मुश्किल नहीं है । नीतू के इस जज्बें को हमारा सलाम।