नई दिल्ली: रामनाथ कोविंद ने देश के 14वें राष्ट्रपति के रूप में शपथग्रहण किया. उनके शपथ ग्रहण में पीएम मोदी, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और बिहार के सीएम नीतीश कुमार समेत राजनीति जगत के कई दिग्गज शामिल हुए. शपथ ग्रहण के लिए राष्ट्रपति भवन में खास तैयारियां की गई थीं.
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दरहसल सबसे पहले रामनाथ कोविंद महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने राजघाट पहुंचे. उसके बाद रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति भवन पहुंचे, जहां पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उन्हें फूलों का गुलदस्ता देकर स्वागत किया.शपथ ग्रहण के बाद रामनाथ कोविंद ने कहा कि सेंट्रल हॉल में पुरानी यादें ताजा हो गईं. सेंट्रल हॉल में मैंने विचार-विमर्श किया. कई बार विचारों से सहमत होते तो कभी असहमत. विचारों का सम्मान करना इसी सेंट्रल हॉल में सीखा है. 21वीं सदी भारत की सदी होगी. मैं पूरी विनम्रता के साथ ये पद ग्रहण कर रहा हूं. मैं बहुत छोटे से गांव में मिट्टी के घर में पला बढ़ा हूं. काफी लंबी यात्रा रही.
साथ ही रामनाथ कोविंद ने कहा- देश की सफलता का मंत्र उसकी विविधता है और यही विविधता हमारा वह आधार है जो हमें अद्वितीय बनाता है. कोविंद ने कहा, इस देश में हमें राज्यों और क्षेत्रों, पंथों, भाषाओं, संस्कृतियों, जीवन शैलियों जैसी कई बातों का सम्मिश्रण देखने को मिलता है. हम बहुत अलग हैं, लेकिन फिर भी एक हैं, एकजुट हैं. उन्होंने कहा कि देश की सफलता का मंत्र उसकी विविधता है. विविधता ही हमारा वह आधार है जो हमें अद्वितीय बनाता है. नए राष्ट्रपति ने कहा कि 21वीं सदी का भारत, ऐसा भारत होगा जो हमारे पुरातन मूल्यों के अनुरूप होने के साथ ही साथ चौथी औद्योगिक क्रांति को भी विस्तार देगा. इसमें ना कोई विरोधाभास है और ना ही किसी तरह के विकल्प का प्रश्न उठता है. उन्होंने कहा कि हमें अपनी परंपरा और प्रौद्योगिकी, प्राचीन भारत के ज्ञान और समकालीन भारत के विज्ञान को साथ लेकर चलना है.
आपको बता दें कि 20 जुलाई को आए नतीजों में रामनाथ कोविंद को कुल 702,044 मिले हैं जबकि मीरा कुमार को 367,314 वोट मिले थे। जीत के बाद कोविंद ने जीत के बाद कहा कि सभी लोगों ने मुझपर जो विश्वास जताया है, उसके लिए सभी का आभारी हूं। उन्होंने कहा था, ‘मैं चुनाव में विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार को शुभकामनाओं के साथ धन्यवाद देता हूं। जिस पद का गौरव डॉ. राजेंद्र प्रसाद, सर्वपल्लि राधाकृष्णन, एपीजे अब्दुल कलाम जी और प्रणब मुखर्जी ने बढ़ाया है, उस पर पद पर रहना मेरे लिए गौरव की बात और जिम्मेदारी का एहसास करा रहा है। मेरे लिए ये भावुक क्षण है।’