
NGO लोक प्रहरी ने सर्वोच्च न्यायालय में नेताओं की संपत्ति से संबंधित एक याचिका दायर की । जिस पर न्यायलय ने बुधवार को सुनवाई कर केंद्र सरकार से नेताओं की सम्पति बढ़ने को लेकर पूरी जानकारी मांगी है। इस याचिका में कहा गया है कि दो चुनावों के दौरान कुछ नेताओं की संपत्ति 500 फीसदी तक बढ़ गयी है एनजीओ ने कोर्ट से अपील की कि इलेक्शन के दौरान एफिडेविट में सोर्स ऑफ इनकम का कॉलम जोड़ा जाए, ताकि कैंडिडेट्स का सोर्स ऑफ इनकम पता चल सके। कोर्ट ने इस संबंध में इलेक्शन कमीशन और केंद्र को नोटिस भी भेजा था। इस मामले पर गुरुवार को भी सुनवाई जारी रहेगी।
जस्टिस जे चेलमेश्वर और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा, ”सीबीडीटी की ओर से दायर किया एफिडेविड अधूरा है। क्या भारत सरकार का यही एटीट्यूड है? अब तक आपने (सरकार) क्या किया? पहले कहा था कि हम चुनाव सुधार के खिलाफ नहीं हैं। इस बारे में सभी जानकारियां ऑन रिकॉर्ड (कोर्ट में) होनी चाहिए।”
– ”बेंच को लगता है कि जब सीबीडीटी का एफिडेविट कोर्ट के सामने आया तो यह अधूरा था। इसमें सभी जरूरी जानकारियां मौजूद होनी चाहिए। आप (सरकार) इसे अच्छी तरह से फाइल कर सकते हैं। फिलहाल जो दस्तावेज मिला है वो एक टाइप किए गए कागज के अलावा कुछ नहीं है। आप वेग (अस्पष्ट) स्टेटमेंट ना दें।अगर सीबीडीटी ने कोई कार्रवाई की है तो बताएं कि क्या एक्शन लिया।”
न्यायालय ने 12 सितंबर तक इस बारे में सरकार की ओर से एफिडेविट दाखिल करने का आदेश दिया है। न्यायालय ने कहा कि अगर सरकार को इस जानकारी को जनता के बीच आने से खतरा है तो एफिडेविट सीलबंद लिफाफे में दिया जा सकता है, लेकिन साथ ही ये भी बताए कि ये जानकारी सार्वजनिक होने से सरकार को क्या नुकसान होगा ।
इस दौरान सरकार की ओर से सरकारी वकील ने कहा कि फेयर इलेक्शन देश के लोकतंत्र का अहम ओर महवपूर्ण हिस्सा हैं। इस बारे में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का हम स्वागत करते हैं। जल्द ही इस बारे में सभी जानकारियां न्यायालय में पेश कर देंगे। यह सरकार की ओर से चलाए जा रहे स्वच्छ भारत (अभियान) के अंदर आता है। ये सिर्फ कूड़े की सफाई के लिए ही नहीं है। सरकार का नजरिया बिल्कुल सही है।
एनजीओ लोक प्रहरी की दायर याचिका में चुनाव के नामांकन पत्र में एक कॉलम बढ़ाने की मांग की गई है। इसमें कैंडिडेट्स को सोर्स ऑफ इनकम बतानी होगी। पिटीशन के मुताबिक, अब तक देश में कोई भी कैंडिडेट चुनाव लड़ने से पहले अपनी, पत्नी और बच्चों की सम्पति की जानकारी इलेक्शन कमीशन को देता है, लेकिन इस इनकम का सोर्स कहीं पर भी नहीं बताया जाता है।