क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल मुद्रा है। जो सुरक्षा के लिए क्रिप्टोग्राफी का उपयोग करती है। इसकी जाली करेंसी बनाना कठिन है। यह किसी सरकारी प्राधिकरण द्वारा जारी नही की जाती, इसी कारण इसमें किसी भी प्रकार का सरकारी हस्तछेप या हेरफेर नही किया जा सकता।
लोगो के बीच में सबसे पोपुलर क्रिप्टोकरेंसी “bitcoin”हुई। क्रिप्टोकरेंसी को सतोषी नाकामोतो के फेक नाम वाले व्यक्ति या ग्रुप द्वारा, वर्ष 2009 जारी किया गया था। इसके बाद अनेक क्रिप्टोकरेंसीया जैसे Litecoin, Namecoin, PPCoin भी बाज़ार में प्रचलित हुई थी। इनका उपयोग मुख्य रूप से मौजूदा बैंकिंग और सरकारी संस्थानों के बाहर किया जाता है, और इंटरनेट पर इनका आदान-प्रदान किया जाता है।
बता दे की विश्व में सबसे पहले 1998 में, वी दाई ने एक बेनामी, वितरित इलेक्ट्रॉनिक नकदी प्रणाली “बी-पैसे” का विवरण प्रकाशित किया। इसके तुरंत बाद, निक सज़ाओ ने “बिट गोल्ड” बनाया। जून 2017 तक क्रिप्टोकाउंक्ज के कुल बाजार पूंजीकरण 100 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक है और रिकॉर्ड उच्च दैनिक मात्रा 6 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक है।

क्रिप्टोकरेंसी के फायदे
इसमें मिनिमम प्रोसेसिंग फीस के साथ लेनदेन करना आसान होता है । यह ऐसे डाटा संरचना का प्रयोग करते है, जो हैकर्स से सुरक्षित होती है, इनके लिए ब्लॉग चेन बनाई जाती है। ब्लॉग चेन का ऑनलाइन वोटिंग और क्राउडफंडिंग जैसे टेक्नोलॉजी में मह्ह्त्वपूर्ण उपयोग हो सकता है। इसकी कॉपी करना कठिन है।
क्रिप्टोकरेंसी के नुक्सान
यह गैरकानूनी मुद्रा के लेनदेन कर सकती है , काले धन को सफ़ेद करने में सहायक हो सकती है । चूँकि क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल मुद्रा है, इसीलिए इसका भण्डारण नही किया किया जा सकता। कम्पूटर के क्रेश होने पर, यह मुद्रा भी समाप्त हो जाएगी। यह वर्चुअल है, इसी कारण अभी तक इसकी ऑनलाइन चोरी की 40 घटनाएं दर्ज हो चुकी है।