वर्तमान समय में भारत की सीमओं पर सुरक्षा की दृष्टि से खास ख्याल रखा जा रहा है , और इसी सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए ,भारतीय सेना अध्यक्ष जनरल रावत ने बुधवार को बयान दिया था कि ‘भारत को दोनों मोर्चे (चीन व पाकिस्तान) पर युद्ध के लिए तैनात रहना चाहिए और ‘जहां तक हमारे उत्तरी विरोधी का सवाल है, तो ताकत दिखाने का दौर शुरू हो चुका है, धीरे-धीरे भूभाग पर कब्जा करना और हमारी सहने की क्षमता को परखना हमारे लिए चिंता का सबब है । इस प्रकार की परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए जो धीरे-धीरे संघर्ष के रूप में बदल सकती है।
सेनाध्यक्ष रावत के बयान को सुनकर गुरूवार को चीन ने बहुत तीखी प्रतिक्रिया दी और जबाव में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा, “हमें यह नहीं पता कि क्या वह इन बातों को कहने के लिए अधिकृत हैं या फिर स्वत: स्फूर्त अचानक कहे गए शब्द हैं, या फिर यह टिप्पणी भारत सरकार के रुख का प्रतिनिधित्व करती है?” वह भी ऐसे समय पर जब डोकलाम विवाद के बाद दोनों देशों के नेताओं की सकारात्मक मुद्दों को लेकर बैठक हुई है। और एक दिन पहले ही ब्रिक्स सम्मेलन से अलग भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मुलाकात की थी और कहा की हमें एक दुसरे को दुश्मन की तरह नहीं देखना चाहिए और सीमा पर शांति बनाए रखने पर सहमति जताई थी ।
गेंग कहा , ‘दो दिन पहले ही राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारत के प्रधानमंत्री से कहा था कि दोनों देश एक-दूसरे के लिए विकास की संभावनाएं हैं और एक-दूसरे के लिए खतरा नहीं हैं।’ उन्होंने कहा कि ब्रिक्स सम्मेलन से इतर दोनों देशों के नेताओं के बीच दो माह तक चले डोकलाम विवाद के बाद घोषणा पत्र में सकारात्मक विकास पर बात की थी एक दूसरे का आदर करते हुए शांति और सद्भाव बनाए रखना दोनों देशों के लिए अच्छा होगा।