बिहार में नीतिश सरकार के लिए एक अच्छी खबर है। राज्य में शराबबंदी कानून का फायदा अब नजर आने लगा है। बिहार में पिछले एक साल में शराब पीकर वाहन चलाने से मौत के मामलों में कमी आयी है। सरकार इस मामले में अपनी पीठ थपथपा रही है। सरकारी आंकड़ों की मानें तो 2015 के मुकाबले 2016 में सड़क हादसों में 60 फीसदी की कमी आयी है। आपको बता दें कि राज्य में 2016 में शराब बंदी कानून लागू किया था। इस कानून के लागू होने के बाद राज्य सरकार पर भी कई सवाल उठने लगे थे। वैसे जहां बिहार में मामलों में कमी आयी है वहीं पिछले एक साल के दौरान उत्तर –प्रदेश में मामले दुगने हो गये हैं।
क्या कहते हैं वाहन दुर्घटना से जुड़े मामले।
हाल ही में जारी एक सरकारी रिपोर्ट के 2014 में 1,404 मामले सड़क दुर्घटना के आये थे। जो कि 2016 में बढ़कर 2716 हो गये। इस रिपोर्ट के अनुसार बिहार ऐसे तीन राज्यों में से एक है जहां 2016 में शराब पीकर गाड़ी चलाने से मरने वाले लोगों के आंकड़ें में कमी आयी है। इसके अलावा झारखंड और हरियाणा राज्य में भी ड्रंक-ड्राइविंग के मामलों मे कमी आयी है। जबकि उत्तर प्रदेश, बंगाल, पंजाब, पदुचेरी और ओडिशा ऐसी श्रेणी में है जहां शराब पीकर गाड़ी चलाने से हुई मौत के मामले बढ़े हैं। उत्तर-प्रदेश में मामले दुगने हो गये है तो साथ ही दिल्ली में आंकड़े बढ़कर पांच गुणा हो गये हैं। आपको बता दे डब्लूएचओ की एक रिपोर्ट की माने तो देश में सड़क दुर्घटनाओँ में सबसे ज्यादा मामले ड्रंक-ड्राइविंग के होते हैं। वैसे बिहार सरकार इस रिपोर्ट से खासी गदगद नजर आ रही है। राज्य में शराब बंदी कानून के बाद से विपक्ष और आम लोगों के निशाने पर आयी नीतिश सरकार आने वाले समय इस रिपोर्ट को एक उपलब्धि के तौर पर पेश करने वाली है। हालांकि उत्तर-प्रदेश और दिल्ली के मामले में स्थिति वाकई चिंता करने वाली है। इन दोनों ही राज्यों में शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है।