सरकार अपने खाते में से 17,000 करोड़ रूपए कहीं और नहीं बल्कि आपके गाँव की बिजली के लिए खर्च करने जा रही है।हाल ही में सरकार ने हर ग्रामीण परिवार तक बिजली पहुँचाने के लिए 17,000 करोड़ रूपए की लागत से “सस्ती बिजली हर घर योजना” की शुरुवात की है।
सरकार का लक्ष्य 2022 तक प्रत्येक गाँव में 100 प्रतिशत बिजली पहुँचाना है। वर्तमान में 40 मिलियन घरों में अभी भी बिजली नही है तथा 304 मिलियन भारतीय बिजली के अभाव में रह रहे है। भारत के 10 प्रतिशत गाँव में गलत ढंग से बिजली का उपयोग हो रहा है और 28 प्रतिशत बिजली वाले गाँव ओवर चार्जिंग व अनौपचारिक बिलिंग की समस्या से ग्रस्त है।
2015 की योजना के अनुसार 1 मई 2018 तक 18,452 गाँव में बिजली की आपूर्ति करनी थी जिसमे से 3,458 गाँव में अभी भी बिजली की व्यवस्था नही हो पाई है तथा 966 गाँव निर्जन है।
सरकार इस योजना सफलता तभी सुनिश्चित करेगी जब एक गाँव में सरकारी परिभाषा के अंतर्गत बिजली की आपूर्ति हो।इस परिभाषा में शामिल है:-
- जब गाँव में मूलभत संरचना हो जैसे बसे हुए छेत्रों में डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर और डिस्ट्रीब्यूशन लाइन्स दलित बस्ती वाले कस्बो में भी उपलब्ध कराई जाए।
- विद्यालय, पंचायत, हॉस्पिटल्स, दवाखाने आदि जैसे सार्वजनिक जगहों पर बिजली मौजूद हो।
- इलेक्ट्रिसिटी स्टेशनों की संख्या कुल जनसंख्या का कम से कम 10 प्रतिशत हो।