अब्दुल कलाम ना ही सिर्फ हमारें देश के राष्ट्रपति रहें है बल्क़ि एक ऐसें व्यक्ति भी रहे है जिन्होंने हमेशा ही सबको प्रेरणा दी। आज उनका 86वां जन्म दिन पूरा देश मना रहा है। ऐसें में चलिए जानते है उनकी जिंदगी के कुछ अनछूए पहलुओं के बारे में।
अपने बचपन को याद करते हुए उन्होंने अपनी पुस्तक मे लिखा कि “मैं अपने बचपन के दिन नही भूल सकता, मेरे बचपन को निखारने में मेरी माँ का विषेश योगदान है। उन्होने मुझे अच्छे-बुरे को समझने की शिक्षा दी। छात्र जीवन के दौरान जब मैं घर-घर अखबार बाँट कर वापस आता था तो माँ के हाँथ का नाश्ता तैयार मिलता। पढाई के प्रति मेरे रुझान को देखते हुए मेरी माँ ने मेरे लिये छोटा सा लैम्प खरीदा था, जिससे मैं रात को 11 बजे तक पढ सकता था। माँ ने अगर साथ न दिया होता तो मैं यहां तक न पहुचता”।

अब्दुल कलाम मदरसे में पढ़ने के बाद सुबह रामेश्वरम के रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर जाकर समाचार पत्र एकत्र करते थे। अब्दुल कलाम अखबार लेने के बाद रामेश्वरम शहर की सड़कों पर दौड़-दौड़कर सबसे पहले उसका वितरण करते थे। बचपन में ही आत्मनिर्भर बनने की तरफ उनका यह पहला कदम रहा।
- सुबह 4 बजे उठते हैं
कलाम जब आठ साल के थे, तब से सुबह 4 बजे उठते थे और स्नान करने के बाद गणित पढ़ने चले जाते थे। उनके अध्यापक स्वामीयर की यह विशेषता थी कि जो विद्यार्थी स्नान करके नहीं आता था, वह उसे नहीं पढ़ाते थे। वे कलाम समेत सिर्फ और पाँच विद्यार्थियों को प्रतिवर्ष नि:शुल्क ट्यूशन पढ़ाते थे। लिहाजा, तभी से डॉक्टर कलाम को सुबह उठने की आदत है।
- व्यक्तिगत जीवन था बेहद साधारण
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम अपने जीवन को बहुत अनुशासन में जीना पसंद करते थे। शाकाहार और ब्रह्मचर्य का पालन करने वालों में से थे। कहा जाता है कि वह कुरान और भगवद् गीता दोनों का अध्ययन करते थे और उनकी अच्छी बातों पर अमल किया करते थे। उनके भाषणों में कम से कम एक कुराल का उल्लेख अवश्य रहता है। छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कई ऐसे संदेश दिए जिससे लोगों को प्रेरणा मिली। अब्दुल कलाम राजनीतिक स्तर पर भारत को और मजबूत करना चाहते थे उनकी इच्छा थी कि भारत ज्यादा से ज्यादा महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाये। बच्चों और युवाओं के बीच डाक्टर क़लाम अत्यधिक लोकप्रिय थे।

- मिसाइलमैन के रूप में
1962 में वे ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ में आए। डॉक्टर अब्दुल कलाम को प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (एस.एल.वी. तृतीय) प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय हासिल है। अब्दुल कलाम भारत के मिसाइल कार्यक्रम के जनक माने जाते हैं।
उन्होंने 20 साल तक भारतीय अंतरिक्ष शोध संगठन यानी इसरो में काम किया और करीब इतने ही साल तक रक्षा शोध और विकास संगठन यानी डीआरडीओ में भी। वे 10 साल तक डीआरडीओ के अध्यक्ष रहे। साथ ही उन्होंने रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार की भूमिका भी निभाई। इन्होंने अग्नि एवं पृथ्वी जैसी मिसाइल्स को स्वदेशी तकनीक से बनाया था।
- भारत रत्न का सम्मान
डॉ कलाम को वर्ष 1997 में भारत रत्न सम्मान से नवाजा गया। आपको बता दें, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण और डॉ जाकिर हुसैन के बाद कलाम ही एक ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने भारत रत्न मिलने के बाद राष्ट्रपति का पद संभाला। के आर नारायण के हाथों इन्हें भारत रत्न सम्मान प्राप्त हुआ था।

- ग्यारहवें राष्ट्रपति:-18 जुलाई, 2002 को कलाम भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे। इन्हें भारतीय जनता पार्टी समर्थित एनडीए घटक दलों ने अपना उम्मीदवार बनाया था, जिसका वामदलों के अलावा समस्त दलों ने समर्थन किया। 25 जुलाई 2002 उन्होंने संसद भवन के अशोक कक्ष में राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। 25 जुलाई 2007 को उनका कार्यकाल समाप्त हो गया।
- संगीत से था खासा लगाव
एक इंटरव्यू के दौरान डॉक्टर कलाम ने कहा था कि संगीत और नृत्य एक ऐसा साधन है, जिसके जरिए हम वैश्विक शांति सुनिश्चित कर सकते हैं। कला में पूरे विश्व को साथ लाने की ताकत है। डॉक्टर कलाम को संगीत से खासा लगाव था।
- जीवन का सबसे बड़ा अफसोस
एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने जीवन के सबसे बड़े अफसोस का जिक्र किया था उन्होंने कहा था कि वह अपने माता पिता को उनके जीवनकाल में 24 घंटे बिजली उपलब्ध नहीं करा सके। उन्होंने कहा था कि मेरे पिता (जैनुलाब्दीन) 103 साल तक जीवित रहे और मां (आशियाम्मा) 93 साल तक जीवित रहीं। घर में सबसे छोटा होने के कारण कलाम को घर में ज्यादा प्यार मिला। उनके घर में लालटेन से रोशनी होती थी और वह भी शाम को सात बजे से लेकर रात नौ बजे तक। उनकी मां को कलाम की प्रतिभा पर भरोसा था इसलिए वह कलाम की पढ़ाई के लिए एक स्पेशल लैंप देती थी जो रात तक पढ़ाई करने में कलाम की मदद करता था।

- लोगों के राष्ट्रपति
डॉ. कलाम को पीपुल्स प्रेसिडेंट भी कहा जाता है। क्योंकि वे आम लोगों से काफी नजदीकी रिश्ता बनाकर रखते थे। डॉ. विक्रम साराभाई ने डॉक्टर अब्दुल कलाम को एक परामर्शदाता के रूप में गाइड किया था। उन्होंने कलाम को तारों तक पहुंचने की बहुमूल्य सलाह दी थी।
- अंतिम समय में भी लेक्चर दे रहे थे कलाम
उनके जानने वालों का कहना है कि उनकी डायरी में हर दिन का कार्यक्रम दर्ज होता था। राष्ट्रपति पद से पदमुक्त होने के बाद भी वह शिक्षा के क्षेत्र मे निरन्तर सक्रिय रहते थे। वह अंतिम समय भी शिलोंग मे छात्रों को संबोधित कर रहे थे।
- बस इतनी ही थी एपीजे अब्दुल कलाम की जायदाद
देश के पूर्व राष्ट्रपति एपीजेपी अब्दुल कलाम की जिंदगी में सिर्फ चंद जरुरत की चीजें ही थी और बहुत ज्यादा भौतिक चीजें उनके पास नहीं थी। उनके पास जो जरुरी चीजें थी उसके आधार पर यही कहा जा सकता है कि उनके पास ऐसा कुछ भी नहीं था जिसे जायदाद का नाम दिया जा सके।
उनके पास जो चीजें थी उसमें 2500 किताबें, एक रिस्टवॉच, छह शर्ट, चार पायजामा, तीन सूट और मोजे की कुछ जोड़ियां थी। हैरानी की बात तो यह है कि उनके पास फ्रीज तक नहीं था। डॉक्टर साहेब के पास टीवी, कार और एयर कंडीशनर तक भी नहीं था।

- यूथ ऑइकन ऑफ दि ईयर
डॉक्टर कलाम युवाओं और बच्चों के बीच खासे लोकप्रिय हैं। यह उनकी लोकप्रियता का ही आलम है कि साल 2003 और 2006 में उन्हें MTV ने बतौर यूथ ऑइकन ऑफ दि ईयर नॉमिनेट किया था।