चीन और भारत के संबंध बहुत पुराने हैं। दोनों देशों के राजनीतिक और कूटनीतिक रिश्तों में बहुत उतार चढ़ाव देखने को मिले हैं। कभी सीमा विवाद, कभी ब्रह्मपुत्र नदी विवाद और कभी कई मोर्चों पर समझोते, हमारा संबंध काफ़ी उतार चढ़ाव वाला रहा है। चीन के लिए भारत निवेश के नज़रिए से एक बड़ा बाज़ार है। 50 प्रतिशत से भी अधिक चीनी सामान आज भारत मे मौजूद है। आइये एक नज़र डालते है चीन भारत के विवादों व रिश्तों पर।
भारत और चीन विवाद की सबसे बड़ी वजह है सीमा
- भारत- चीन के बीच 4000 कि.मी की सीमा है जो कि निर्धारित नहीं है। इसे एल.ओ.सी कहते हैं। भारत और चीन के सैनिकों का जहाँ तक क़ब्ज़ा है वही नियंत्रण रेखा है, जो कि 1914 में मैकमोहन ने तय की थी। लेकिन इसे भी चीन नहीं मानता और इसलिए अक्सर वो घुसपैठ की कोशिश करता रहता है।
भारत-चीन युद्ध 1962

- 1962 में हुआ भारत-चीन युद्ध पूरी दुनिया में हुए युद्धों से बेहद अलग था। इस युद्ध की ऐसी खासियतें थीं, जो पहले कभी नहीं देखीं गईं। यही नहीं इस युद्ध ने पूरे भारत को बदल दिया और उसके इतिहास की दिशा को मोड़ दिया था। 1962 के युद्ध में भारत को पराजय होना पड़ा था।
- भारत-चीन के इस युद्ध के लिए हिमालय की विवादित सीमा एक मुख्य बहाना था। लेकिन अन्य मुद्दों ने भी इसमें ज़रूरी भूमिका निभाई। चीन में साल 1959 के तिब्बती विद्रोह के बाद जब भारत ने दलाई लामा को शरण दी, तो भारत-चीन सीमा पर हिंसक घटनाओं की एक हिस्से की शुरुआत हो गई।
1962 के लिए नेहरू ज़िम्मेदार-
‘भारत और चीन: 1962 युद्ध के पांच दशक बाद’ विषय पर आयोजित एक सम्मेलन में पूर्व वायुसेना प्रमुख एयर चीफ़ मार्शल [सेवानिवृत्त] एवाई टिपणीस ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय नेता बनने की अपनी महात्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए नेहरू ने राष्ट्र के सुरक्षा हितों को त्याग दिया। युद्ध में भारत की अपमानजनक पराजय के लिए नेहरू मुख्य रूप से ज़िम्मेदार थे। इस युद्ध में वायुसेना का इस्तेमाल आक्रमण के लिए न करना हमेशा चर्चा का विषय रहा है।
पंचशील समझौता-
पंचशील समझौते पर 63 साल पहले 29 अप्रैल 1954 को हस्ताक्षर हुए थे। ये समझौता चीन के क्षेत्र तिब्बत और भारत के बीच व्यापार और आपसी संबंधों को लेकर ये समझौता हुआ था। इसमें पाँच सिद्धांत थे जो अगले पाँच साल तक भारत की विदेश नीति की रीढ़ रहे थे। इस समझौते के बाद ही हिंदी-चीनी भाई-भाई के नारे लगने शुरू हुए थे और भारत ने गुट निरपेक्ष रवैया अपनाया। लेकिन फिर 1962 में चीन के साथ हुए युद्ध में इस संधि की मूल भावना को काफ़ी चोट पहुंची थी।
- पंचशील मुद्दे में ये 5 पॉइंटस अहम थे- एक दूसरे की अखंडता और संप्रभुता का सम्मान, परस्पर अनाक्रमण, एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना, समान और परस्पर लाभकारी संबंध, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व
भारत-चीन युद्ध 1967-
- 1967 के चीनी हमले के बाद भारतीय सेना का खून खौल उठा। जिसके बाद जवाबी हमला शुरू हुआ और चीन की मशीनगन यूनिट को पूरी तरह तबाह कर दिया गया।
- 1967 को ऐसे साल के तौर पर याद किया जाता है जब हमारे सैनिकों ने चीनी दुस्साहस का मुंहतोड़ जवाब देते हुए सैकड़ों चीनी सैनिकों को न सिर्फ मार गिराया, बल्कि उनके कई बंकरों को नष्ट कर दिया था।
भारत-चीन के बीच इन मुद्दों को लेकर है विवाद-

भारत और चीन के बीच भी कई सीमा विवाद हैं। जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड से लेकर सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश तक हमेशा विवाद रहता है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि जब दोनों देशों के बीच स्पष्ट नहीं हैं तो ऐसे में विवाद तो होंगे ही। मीडिया में आए दिन खबरें आती रहती हैं कि कभी चीन तो कभी भारत एक-दूसरे की सीमाओं में घुस जाते हैं।
- सिक्किम- सिक्किम पर कब्ज़े के लिए चीन पिछले कई वर्षों से लगातार प्रयास कर रहा है चीन को इस बात की बेहद जलन है, कि वर्ष 1975 में हुए जनमत संग्रह के बाद सिक्किम का भारत में विलय हुआ।
- अरुणाचल प्रदेश- चीन अरुणाचल पर अपना दावा जताता है और इसलिए अरुणाचल को विवादित बताने के लिए ही चीन वहाँ के निवासियों को स्टेपल वीज़ा देता है जिसका भारत विरोध करता है।
- अक्साई चिन रोड- लद्दाख में इसे बनाकर चीन ने नया विवाद खड़ा किया।
- तिब्बत- इसे भारतीय मान्यता से चीन खफ़ा रहता है।
डोकलाम:-

- जून में भूटान एवं चीन के बीच विवादित डोकलाम क्षेत्र में चीन की ओर से एकतरफा ढंग से सड़क बनाने के प्रयास का पहले भूटानी सेना ने विरोध जताया था। चीनी सेना ने पहले उसे नहीं माना। इसके बाद भूटान की सेना के संकेत के बाद भारतीय सेना ने 16 जून को आगे बढ़कर चीनी सेना को रोका था। तभी ये विवाद चला आ रहा था। इस पर चीन की ओर से भी बयान आया, जिसमे कहा गया था कि ‘भारत ने डोकलाम से अपनी सेना हटा ली है और चीन की सेना वहां पेट्रोलिंग करना जारी रखेगा।’
- सुलझ गया डोकलाम विवाद:
भारत और चीन के बीच करीब 2 महीनों तक तनाव का कारण बना डोकलाम विवाद आखिरकार सुलझ चुका है। जबरदस्त तनातनी के बाद दोनों देश सिक्किम सेक्टर के विवादित डोकलाम क्षेत्र से अपनी-अपनी सेनाओं को एक साथ हटाने का फैसला किया था।
ब्रह्मपुत्र नदी:-

- ब्रह्मपुत्र नदी का उद्गम तिब्बत के दक्षिण में मानसरोवर के निकट चेमायुंग दुंग नामक हिमवाह से हुआ है। अपने मार्ग में यह चीन के स्वशासी क्षेत्र तिब्बत, भारतीय राज्यों, अरुणाचल प्रदेश व असम और बांग्लादेश से होकर बहती है। ब्रह्मपुत्र भारत ही नहीं बल्कि एशिया की सबसे लंबी नदी है। लेकिन इसे लेकर भी चीन और भारत के बीच तनातनी का वातावरण है।
- हाल ही में चीन ने कहा कि वह फिलहाल ब्रह्मपुत्र नदी का जलीय आकंड़ा कुछ समय के लिए भारत के साथ साझा नहीं कर सकता क्योंकि तिब्बत में आंकड़ा संग्रहण केंद्र को अपग्रेड किया जा रहा है।
विवाद या मज़बूत भविष्य, क्या चुनेंगे भारत-चीन?

ग्लोबल टाइम्स मे एक बार लिखा था, “भारत और चीन के बीच एक लंबे और सफल आर्थिक रिश्ते की बहुत संभावनाएँ हैं, खासकर निर्माण के क्षेत्र में बड़ी साझेदारियाँ हो सकती हैं।” इन संभावनाओं को हकीकत में बदलने के लिए दोनों देशों को ग़लतफहमियाँ दूर करने की ओर खासी मेहनत करनी होगी। तभी दोनों के बीच आर्थिक रिश्ते मज़बूत होंगे।
ज़ाहिर सी बात है कि युद्ध किसी भी परेशानी का हल नहीं है। भारत एक शांति प्रिय देश है जो अपने बल-बूते से विकासशील बना है। पड़ोसी देश होने के नाते चीन से बेहतर संबंध होना बहुत ज़रूरी है। अगर हमारे संबंध पड़ोसी राज्यों से ठीक नही होंगे तो भविष्य मे इसका गंभीर परिणाम देखने को मिलेगा।