नीति आयोग ने राष्ट्रीय ऊर्जा नीति का एक मसौदा तैयार किया है जो 2000 दशक के बुनियादी जरूरतों के हिसाब पर आधारित है जिसके तहत समाज के सबसे निचले तबके तक ऊर्जा अथवा बिजली के सभी संसाधनों की पहुंच हो।
नीति आयोग की नीतियों में शामिल है…
- गरीबो और वंचितों का ध्यान रखते हुए सस्ती कीमतों पर ऊर्जा उन तक पहुचाना।
- आयात में कमी लाकर ऊर्जा के क्षेत्र आत्मनिर्भर होना और ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करना।
- जलवायु परिवतर्न को ऊर्जा के मुद्दों से जोड़ना।
- सही आर्थिक विकास की ओर बढ़ना।
नई ऊर्जा नीति की आवश्यकता क्यों
- 2018 की जनगणना से पहले देश के सभी गाँव तक बिजली को पहुचाना साथ ही 24×7 बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करना।
- भारत की कुल जीडीपी में निर्माण क्षेत्र की भागीदारी को 16 प्रतिशत से बढ़ाकर 25% प्रतिशत करना।
- पेट्रोलियम मंत्रालय का लक्ष्य है 2022 तक तेल के आयात को 10 प्रतिशत से कम करना है।
- एक अनुमान के अनुसार 2040 तक भारत की आबादी 1.6 अरब हो जाएगी, ऐसे में खाना पकाने के लिए अधिक ऊर्जा की जरूरत होगी।
- अभी भी भारत के 5 करोड़ लोग एलपीजी का उपयोग नही करते इस प्रकार आने वाले समय में सरकार को 36 प्रतिशत से 55 प्रतिशत तक निर्यात पर होना पड़ेगा।
- आज भी भारत में वायु प्रदुषण के कारण हर वर्ष 1.2 मिलियम लोगों की मृत्यु हो जाती है, जीडीपी पर इसका कुल भार 3 प्रतिशत से अधिक पड़ता है।
सरकार की आगे की योजनायें
- परमाणु ऊर्जा को बढ़ावा देना, यह भारत के भविष्य के लिए उपयोगी है क्योकि यही एक हरित ऊर्जा के एकमात्र साधन है, यह पर्यावरण के लिए भी नुकसानदायक नहीं है। इसके चलते हमारी आत्मनिर्भरता कोयला तथा अन्य ऐसे ही संसाधनों पर से कम हो जाएगी।
- बिजली पर सब्सिडी समाप्त करना, इससे बाज़ार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी साथ ही निर्माण उद्योगों में सहयोग मिलेगा हालांकि घरेलू बिजली पर सब्सिडी समाप्त करने का कोई प्रस्ताव अभी तक नहीं लाया गया है।
- व्यकिगत वाहनों को हतोत्साहित करना, मेट्रो जैसे सार्वजनिक वाहनों को बढ़ावा देना|इसके लिए SUV जैसे वाहनों पर टैक्स की दरे और बढ़ाई जाएगीं।
- वायु की गुणवत्ता में सुधार लाना साथ ही जल संसाधनों को भी स्वच्छ करना, जिसके चलते बस्तियों के हालातों को सुधारा जा सके।
हाल ही के UNO की रिपोर्ट्स में पाया गया है की पेट्रोल और डीज़ल आधारित वाहन बड़े पैमाने पर न सिर्फ पर्यावरण को नुक्सान पंहुचा रहे है बल्कि मानवीय स्वास्थ्य के लिए भी ख़तरनाक साबित हो रहे है, बता दे की भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार वायु प्रदुषण के कारण जलवायु परिवर्तन तेज़ी से हो रहा है जो भारतीय कृषि व्यवस्था को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। ऐसे में आने वाले भविष्य में हमें खाद्य संकट से गुज़रना पड़ सकता है। इस प्रभाव को कम करने की तैयारी अभी से नीति आयोग कर रहा है।
विकसित भारत के बढ़नें क्रम में हमें अपनी ऊर्जा की जरूरतों सबसे पहले ध्यान में रखना होगा, इसी के बल पर हम अपनी अर्थव्यवस्था के कृषि और विनिर्माण के भागो का आधारभूत विकास तेज़ी से कर सकेगे। नीति आयोग भी इसी दिशा में आगे बढ़ने के लिए नए मौसौदे लेकर आ रही है जिसके बल पर भारत के भविष्य की नीव रखी जाएगीं।