हाल ही में देश सबसे अहम कारोबारी समूह टाटा अपनी टेलिसर्विसेज़ को बेचने की फ़िराक में है। यह कम्पनी सर्विस सेक्टर में अपना कारोबार कर रही है। टाटा ग्रुप की यह कंपनी लंबे समय से घाटे में चल रही है। टाटा ग्रुप के चेयरमैन एन. चंद्रशेखर कई दिनों से इस यूनिट को बेचने में असफल रहे है इसलिए अब वह इस कारोबार को समेंटने पर ही विचार कर रहे है।
यदि टाटा टेलिसर्विसेज़ बिकती है तो ऐसा भारतीय इतिहास में पहली बार होगा जब टाटा समूह की कोई ईकाई 149 वर्षो के बाद बंद हो रही हो।
इस कंपनी पर 34,000 करोड़ रुपये का क़र्ज़ है जिसपर हर रोज़ पैसे जमा करने का बोझ बढ़ता जा रहा है। ऐसा पहली बार हो रहा है कि टाटा समूह की कोई कम्पनी इतने गहरे संकट में फँसी हुई है।
सर्विस बाज़ार में टाटा टेलिसर्विसेज़ का हिस्सा लगभग 4 प्रतिशत है तथा इसके कुल 4.5 करोड़ सबस्क्राइबर्स हैं। वहीं कम्पनी के प्रवक्ता का कहना है कि “टाटा समूह अन्य विकल्पों पर भी विचार कर रही है”।
कई दिनों से टाटा टेलिसर्विसेज़ अपने विलय के लिए भारती एयरटेल और रिलायंस जियो से बातचीत कर रही है लेकिन कोई सकारात्मक नतीजा अभी तक नही निकला है।
टाटा टेलिसर्विसेज़ की यह गंभीर हालत तब शुरू हुई जब जापानी कम्पनी डोकोमो की तरफ से टाटा टेलिसर्विसेज का समझौता ख़त्म हुआ। डोकोमो की टाटा टेलिसर्विसेज़ में 26 प्रतिशत हिस्सेदारी थी।