हर साल 4 अक्टूबर को विश्व पशु दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन दुनिया में जीव-जंतुओं के जीवन और अधिकारों की रक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने का प्रयास किया जाता है। ये एक ऐसा दिन है जब हमारे जीवन में पशुओं के योगदान को याद किया जाता है।
पशु बेज़ुबान ज़रूर होते हैं लेकिन उनके अंदर भी भावनाएँ होती हैं और वो भी चीज़ महसूस कर सकते हैं। पर आए दिन हम पशुओं के साथ अत्याचार और और उनके विलुप्त होने की खबरें सुनते रहते हैं।
विलुप्त होते पशुओं को बचना ज़रूरी:-
वर्ल्ड वाइल्ड फ़ंड (डब्लूडब्लूएफ) फ़ॉर नेचर के अनुसार, अभी बहुत से पशु-पक्षी इसी अवस्था में हैं, जो विलुप्त होने के कगार पर हैं। अगर उनका सही तरीके से संरक्षण नहीं किया गया तो वे सभी डायनासोर की तरह ही इतिहास में सिमट जाएँगे।
Let’s do our bit. Because extinction is forever. #WorldAnimalDay #WednesdayWisdom #IncredibleIndia pic.twitter.com/htdCjfXxjC
— Incredible!ndia (@incredibleindia) October 4, 2017
ऐसे कई पशु हैं जिनपर ध्यान नही दिया गया तो जल्द ही वे विलुप्त हो जाएँगे जैसे-
- बाघ
- गैंडा
- पोलर बीयर
- पेंग्विन
- कछुआ
इसके अलावा कई पक्षियाँ ऐसी है जिनकी संख्या बहुत कम रह गई है जैसे-
- गिद्ध
- गौरैया
- साइबेरियन क्रेन
सदी के अंत तक करीब 1,250 प्रजातियों के लुप्त होने की आशंका है। ऐसी कई पक्षी प्रजातियाँ हैं, जो दुनिया में और कहीं देखने को नहीं मिलतीं। इनका ज़िम्मेदार ओर कोई नही बल्कि मनुष्य खुद है। अपने फ़ायदे के लिए मनुष्य पेड़ो की अंधाधुंध कटाई कर अपने लए आरामदायक ज़िंदगी बनाता है और इन पक्षु पक्षियों का आवास इनसे छीन लेता है।
पक्षु पक्षियों पर अत्याचार:-

जानवर हमसे वफ़ादारी और प्रेम करते हैं फिर मनुष्य को पशुओं के साथ क्रूरता का व्यवहार करना कहाँ तक शोभा देता है?
दुनिया भर में रोजाना 1 करोड़ से भी ज्यादा जानवरों को मारा जाता है। कई लोग इनका शिकार करते हैं तो कई बस आनंद के लए इन्हे मार देते हैं। ऐसे लोगों के ख़िलाफ सख़्त सज़ा का प्रावधन होना चाहिए।
अगर हम ही इंसान होकर जानवरों पर अत्याचार करते हैं तो हम सभ्य इंसान कहलाने लायक नहीं हैं।
वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972:-
सरकार ने वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 को देश के वन्यजीवों को सुरक्षा प्रदान करने एवं अवैध शिकार, तस्करी और अवैध व्यापार को नियंत्रित करने के उद्देश्य से लागू किया था।
जनवरी 2003 में अधिनियम में संशोधन किया गया। सज़ा और अधिनियम के तहत अपराधों के लिए जुर्माना अधिक कठोर बना दिया है। लेकिन अब तक इस पर सही से अमल नहीं किया गया है।
वन्य जीवों की हर कीमत पर रक्षा करनी होगी:-
वन्यजीव मानव कल्याण के लिए ज़रूरी है। हम उनके बिना नहीं रह सकते हैं। इसलिए वन्य जीवों की हर कीमत पर रक्षा करनी होगी।
सरकार की कोशिश ही इसके लिए काफ़ी नहीं है और यह भारत के सभी नागरिकों की ज़िम्मेदारी है कि इस प्राकृतिक धरोहर की रक्षा और संरक्षण की दिशा में योगदान करें।
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